उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- दो पत्तों की कहानी*

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*आज का पञ्चांग*

*दिनाँक:-30/08/2025,शनिवार*
*सप्तमी, शुक्ल पक्ष,*
*भाद्रपद*
(समाप्ति काल)

तिथि———– सप्तमी 22:45:57. तक
पक्ष————————– शुक्ल
नक्षत्र——— विशाखा 14:36:20.
योग————— ऐन्द्र 15:08:25
करण————— गर 09:34:26
करण———– वणिज 22:45:57
वार———————— शनिवार
माह———————— भाद्रपद
चन्द्र राशि—— तुला 07:51:57
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि——————— सिंह
रितु————————— शरद
आयन—————— दक्षिणायण
संवत्सर——————- विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर) ————–सिद्धार्थी
विक्रम संवत—————- 2082
गुजराती संवत————– 2081
शक संवत—————— 1947
कलि संवत—————— 5126
सूर्योदय—————- 05:58:20
सूर्यास्त—————– 18:40:48
दिन काल————– 12:42:28
रात्री काल————– 11:17:59
चंद्रोदय—————– 12:09:28
चंद्रास्त—————– 22:38:18
लग्न—-सिंह 12°42′ , 132°42′
सूर्य नक्षत्र——————— मघा
चन्द्र नक्षत्र—————– विशाखा
नक्षत्र पाया——————- रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

ते—- विशाखा 07:51:57

तो—- विशाखा 14:36:20

ना—- अनुराधा 21:20:08

नी—- अनुराधा 28:03:10

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= सिंह 12°49 , मघा 4 मे
चन्द्र= तुला 29°30 , विशाखा 3 ते
बुध = कर्क 29°52 ‘ आश्लेषा 4 डो
शु क्र= कर्क 10°05, पुष्य , 3 हो
मंगल= कन्या 20°30 ‘ हस्त 4 ठ
गुरु=मिथुन 23°30 पुनर्वसु, 1 के
शनि=मीन 06°08 ‘ उ o भा o , 1 के
राहू=(व) कुम्भ 24°35 पू o भा o, 2 सो
केतु= (व) सिंह 24°35 पूoफा o 4 टू
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*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩*

राहू काल 09:09 – 10:44 अशुभ
यम घंटा 13:55 – 15:30 अशुभ
गुली काल 05:58 – 07:34 अशुभ
अभिजित 11:54 – 12:45 शुभ
दूर मुहूर्त 07:40 – 08:31 अशुभ
वर्ज्यम 19:06 – 20:53. अशुभ
प्रदोष 18:41 – 20:58 शुभ

💮चौघड़िया ,दिन

काल 05:58 07:34 अशुभ
शुभ 07:34 – 09:09 शुभ
रोग 09:09 – 10:44 अशुभ
उद्वेग 10:44 – 12:20 अशुभ
चर 12:20 – 13:55 शुभ
लाभ 13:55-15:30 शुभ
अमृत 15:30 – 17:05 शुभ
काल 17:05 18:41 अशुभ

🚩चोघडिया, रात

लाभ 18:41 – 20:06 शुभ
उद्वेग 20:06 – 21:30 अशुभ
शुभ 21:30 – 22:55 शुभ
अमृत 22:55 – 24:20* शुभ
चर 24:20*25:45* शुभ
रोग 25:45* – 27:09* अशुभ
काल 27:09*28:34* अशुभ
लाभ 28:34* – 29:59* शुभ

💮होरा, दिन

शनि 05:58- 07:02
बृहस्पति 07:02- 08:05
मंगल 08:05 -09:09
सूर्य 09:09- 10:12
शुक्र 10:12- 11:16
बुध 11:16 -12:20
चन्द्र 12:20 -13:23
शनि 13:23 -14:27
बृहस्पति 14:27 -15:30
मंगल 15:30- 16:34
सूर्य 16:34- 17:37
शुक्र 17:37 -18:41

💮होरा, रात

बुध 18:41 -19:37
चन्द्र 19:37 -20:34
शनि 20:34 -21:30
बृहस्पति 21:30- 22:27
मंगल 22:27- 23:23
सूर्य 23:23- 24:20
शुक्र 24:20-25:16
बुध 25:16-26:13
चन्द्र 26:13-27:09
शनि 27:09*28:06
बृहस्पति 28:06-29:02
मंगल 29:02*29:59

*🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

सिंह > 05:04 से 07:18 तक
कन्या > 07:18 से 09:34 तक
तुला > 09:34 से 11:50 तक
वृश्चिक > 11:50 से 14:06 तक
धनु > 14:06 से 16:14 तक
मकर > 16:14 से 17:54 तक
कुम्भ > 17:54 से 19:26 तक
मीन > 19:26 से 20:56 तक
मेष > 20:56 से 22:26 तक
वृषभ > 22:26 से 00:26 तक
मिथुन > 00:26 से 02:42 तक
कर्क > 02:42 से 05:06 तक
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*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

7 + 7 + 1 = 15 ÷ 4 = 3 शेष
पृथ्वी लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शुक्र ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

7 + 7 + 5 = 19 ÷ 7 = 5 शेष

ज्ञान वेलायां = कष्ट कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

रात्रि 22:46 से प्रारम्भ

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*सन्तान सप्तमी व्रत*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

अन्यथा वेदपाण्डित्यं शास्त्रमाचारमन्यथा ।
अन्यथा वदता शांतंलोकाःक्लिश्यन्ति चाऽन्यथा ।।
।।चाo नीo।।

वासना के समान दुष्कर कोई रोग नहीं. मोह के समान कोई शत्रु नहीं. क्रोध के समान अग्नि नहीं. स्वरुप ज्ञान के समान कोई बोध नहीं.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: अर्जुन विषादयोग:- अo-1

कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत॥

कुल के नाश से सनातन कुल-धर्म नष्ट हो जाते हैं तथा धर्म का नाश हो जाने पर सम्पूर्ण कुल में पाप भी बहुत फैल जाता है
॥40॥

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
धन प्राप्ति सुगम होगी। ऐश्वर्य के साधनों पर बड़ा खर्च हो सकता है। भूमि, भवन, दुकान व फैक्टरी आदि के खरीदने की योजना बनेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। अपरिचितों पर अतिविश्वास न करें। प्रमाद न करें।

🐂वृष
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। विवाद से क्लेश संभव है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। अपेक्षित कार्यों में अप्रत्याशित बाधा आ सकती है। तनाव रहेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। राज्य के प्रतिनिधि सहयोग करेंगे।

👫मिथुन
बेचैनी रहेगी। चोट व रोग से बचें। काम का विरोध होगा। तनाव रहेगा। कोर्ट व कचहरी के काम अनुकूल होंगे। पूजा-पाठ में मन लगेगा। तीर्थयात्रा की योजना बनेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। सुख के साधनों पर व्यय हो सकता है। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। प्रमाद न करें।

🦀कर्क
कष्ट, भय, चिता व बेचैनी का वातावरण बन सकता है। कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। मातहतों से संबंध सुधरेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। जल्दबाजी न करें। कुबुद्धि हावी रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।

🐅सिंह
लेन-देन में सावधानी रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। परिवार में तनाव रह सकता है। शुभ समाचार मिलेंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। परिवार के साथ मनोरंजन का कार्यक्रम बन सकता है। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें।

🙍‍♀️कन्या
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। सट्टे व लॉटरी से दूर रहें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। कोई बड़ी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। आय में वृद्धि होगी। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी।

⚖️तुला
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। किसी विवाद में उलझ सकते हैं। चिंता तथा तनाव रहेंगे। जोखिम न उठाएं। घर-बाहर असहयोग मिलेगा। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। आय में कमी हो सकती है।

🦂वृश्चिक
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। व्यापार-व्यवसाय में लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। बेचैनी रहेगी। थकान महसूस होगी। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे।

🏹धनु
शत्रु नतमस्तक होंगे। विवाद को बढ़ावा न दें। प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आय के स्रोतों में वृद्धि हो सकती है। व्यवसाय ठीक चलेगा। चोट व रोग से बाधा संभव है। फालतू खर्च होगा। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें।

🐊मकर
वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी के व्यवहार से क्लेश हो सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। दु:खद समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी। पारिवारिक चिंता में वृद्धि होगी। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलेगी। तनाव रहेगा।

🍯कुंभ
नई आर्थिक नीति बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। कारोबारी अनुबंधों में वृद्धि हो सकती है। समय का लाभ लें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नेत्र पीड़ा हो सकती है। कानूनी बाधा आ सकती है। विवाद न करें।

🐟मीन
धनार्जन सुगम होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता अर्जित करेगा। पठन-पाठन में मन लगेगा। दूर यात्रा की योजना बन सकती है। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। वरिष्ठजनों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। बेचैनी रहेगी।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

3️⃣0️⃣❗0️⃣8️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣5️⃣

*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*

*!! दो पत्तों की कहानी !!*
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एक समय की बात है। गंगा नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ था। पहाड़ों से उतरती गंगा पूरे वेग से बह रही थी कि अचानक पेड़ से दो पत्ते नदी में आ गिरे।

एक पत्ता आड़ा गिरा और एक सीधा। जो आड़ा गिरा वह अड़ गया; कहने लगा, “आज चाहे जो हो जाए मैं इस नदी को रोक कर ही रहूँगा… चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाये मैं इसे आगे नहीं बढ़ने दूंगा।”

वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा – रुक जा गंगा… अब तू और आगे नहीं बढ़ सकती… मैं तुझे यहीं रोक दूंगा!

पर नदी तो बढ़ती ही जा रही थी… उसे तो पता भी नहीं था कि कोई पत्ता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है।

पर पत्ते की तो जान पर बन आई थी। वो लगातार संघर्ष कर रहा था। नहीं जानता था कि बिना लड़े भी वहीं पहुंचेगा, जहाँ लड़कर.. थककर.. हारकर पहुंचेगा! पर अब और तब के बीच का समय उसकी पीड़ा का… उसके संताप का काल बन जायेगा।

वहीं दूसरा पत्ता जो सीधा गिरा था, वह तो नदी के प्रवाह के साथ ही बड़े मजे से बहता चला जा रहा था।

यह कहता हुआ कि “चल गंगा, आज मैं तुझे तेरे गंतव्य तक पहुँचा के ही दम लूँगा… चाहे जो हो जाये मैं तेरे मार्ग में कोई अवरोध नहीं आने दूँगा… तुझे सागर तक पहुँचा ही दूँगा।”

नदी को इस पत्ते का भी कुछ पता नहीं… वह तो अपनी ही धुन में सागर की ओर बढ़ती जा रही थी। पर पत्ता तो आनंदित है, वह तो यही समझ रहा है कि वही नदी को अपने साथ बहाये ले जा रहा है।

आड़े पत्ते की तरह सीधा पत्ता भी नहीं जानता था कि चाहे वो नदी का साथ दे या नहीं, नदी तो वहीं पहुंचेगी जहाँ उसे पहुँचना है! पर अब और तब के बीच का समय उसके सुख का… उसके आनंद का काल बन जायेगा।

जो पत्ता नदी से लड़ रहा है… उसे रोक रहा है, उसकी जीत का कोई उपाय संभव नहीं है और जो पत्ता नदी को बहाये जा रहा है उसकी हार को कोई उपाय संभव नहीं है।

हमारा जीवन भी उस नदी के समान है जिसमें सुख और दुःख की तेज धारायें बहती रहती हैं।

और जो कोई जीवन की इस धारा को आड़े पत्ते की तरह रोकने का प्रयास भी करता है, तो वह मुर्ख है, क्यों कि ना तो कभी जीवन किसी के लिये रुका है और ना ही रुक सकता है।

वह अज्ञान में है जो आड़े पत्ते की तरह जीवन की इस बहती नदी में सुख की धारा को ठहराने या दुःख की धारा को जल्दी बहाने की मूर्खता पूर्ण कोशिश करता है।

क्योंकि सुख की धारा जितने दिन बहनी है.. उतने दिन तक ही बहेगी। आप उसे बढ़ा नहीं सकते और अगर आपके जीवन में दुःख का बहाव जितने समय तक के लिये आना है वो आ कर ही रहेगा, फिर क्यों आड़े पत्ते की तरह इसे रोकने की व्यर्थ मेहनत करें।

बल्कि जीवन में आने वाली हर अच्छी बुरी परिस्थितियों में खुश हो कर जीवन की बहती धारा के साथ उस सीधे पत्ते की तरह ऐसे चलते जाओ… जैसे जीवन आपको नहीं बल्कि आप जीवन को चला रहे हो। सीधे पत्ते की तरह सुख और दुःख में समता और आनन्दित होकर जीवन की धारा में मौज से बहते जायें।

और जब जीवन में ऐसी सहजता से चलना सीख गए तो फिर सुख क्या? और दुःख क्या?

*शिक्षा:-*
जीवन के बहाव में ऐसे ना बहें कि थक कर हार भी जायें और अंत तक जीवन आपके लिए एक पहेली बन जाये। बल्कि जीवन के बहाव को हँस कर ऐसे बहाते जायें कि अंत तक आप जीवन के लिये पहेली बन जायें।

सुख हमारी स्वयं की सम्पत्ति है.. इसे बाहर नहीं अपने भीतर ही ढूंढें। इससे आप सदैव सुखी रहेंगे..!!

*सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है, उसके पास समस्त है।।*
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

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