*भारत के दस बड़े यात्री विमान हादसे*
देवभूमि जेके न्यूज –
(विवेक रंजन श्रीवास्तव-विभूति फीचर्स)
समय के साथ अब हवाई यात्रा विलासिता नहीं रही , अब यह आवश्यकता बन चुकी है। भारत में हवाई यात्रा का निरंतर विस्तार भी तेजी से हो रहा है। हवाई यात्रा का इतिहास गौरवशाली रहा है, पर कई दुर्घटनाओं के चलते दर्दनाक भी रहा है। तकनीकी उन्नति और सुरक्षा उपायों के बावजूद कई गंभीर विमान दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें अनेक निर्दोष लोगों की जान गई।
प्रमुख दस यात्री विमान दुर्घटनाएं इस तरह हैं-
1. *एयर इंडिया फ्लाइट 855 (1978)* – मुंबई के तट पर दुर्घटना
तारीख: 1 जनवरी 1978
विमान: बोइंग 747
स्थान: मुंबई तट के पास अरब सागर
मृतक: 213 में से सभी यात्री
कारण: पायलट द्वारा गलत दिशा में झुकाव; यंत्रविज्ञान की विफलता
*2. एयर इंडिया फ्लाइट 182 (1985)* – कनाडा के पास विस्फोट
तारीख: 23 जून 1985
विमान: बोइंग 747-237B
स्थान: आयरलैंड के तट के पास अटलांटिक महासागर
मृतक: 329
कारण: बम विस्फोट (आतंकी हमला), खालिस्तानी आतंकियों की भूमिका
विशेष: यह अब तक की भारत की सबसे बड़ी विमान त्रासदी मानी जाती है।
*3. इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 605 (1990)* – बेंगलुरु में क्रैश लैंडिंग
तारीख: 14 फरवरी 1990
विमान: एअर बस ए-320
स्थान: बेंगलुरु एयरपोर्ट के पास
मृतक: 92
कारण: पायलट की त्रुटि; विमान रनवे से पहले ही उतर गया
*4. इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 491 (1993)* – औरंगाबाद में हादसा
तारीख: 26 अप्रैल 1993
विमान: बोइंग 737
स्थान: औरंगाबाद एयरपोर्ट
मृतक: 55
कारण: टेक-ऑफ के दौरान ट्रक से टकराव
*5. एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 (2010)* – मेंगलुरु में रनवे से फिसला
तारीख: 22 मई 2010
विमान: बोइंग 737-800
स्थान: मेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
मृतक: 158
कारण: रनवे से आगे निकल जाना, पायलट की ग़लती
विशेष: यह विमान दुबई से लौट रहा था, और मेंगलुरु का टेबलटॉप रनवे हादसे का बड़ा कारण बना।
6. इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 113 (1988) – अहमदाबाद में क्रैश
तारीख: 19 अक्टूबर 1988
विमान: बोइंग 737
स्थान: अहमदाबाद
मृतक: 130
कारण: खराब मौसम और पायलट की लैंडिंग में चूक
*7. एयर इंडिया फ्लाइट 403 (1982)* – बॉम्बे में क्रैश
तारीख: 21 जून 1982
विमान: बोइंग 707
स्थान: बॉम्बे (अब मुंबई)
मृतक: 17
कारण: रनवे पर उतरते समय आग लगना
*8. इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 257 (1991)* – मणिपुर में पहाड़ी से टकराया
तारीख: 16 अगस्त 1991
विमान: बोइंग 737
स्थान: इम्फाल, मणिपुर
मृतक: 69
कारण: खराब मौसम में दिशा भ्रम और पायलट की त्रुटि
*9. एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 1344 (2020)* – कोझिकोड रनवे हादसा
तारीख: 7 अगस्त 2020
विमान: Boeing 737-800
स्थान: कोझिकोड (कालीकट) हवाई अड्डा
मृतक: 21
कारण: भारी बारिश में टेबलटॉप रनवे से फिसलना
*10. इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 814 हाईजैक (1999)* – कान्धार कांड
तारीख: 24 दिसंबर 1999
विमान: एअर बस ए-300
स्थान: नेपाल से दिल्ली, हाईजैक कर अफगानिस्तान ले जाया गया
मृतक: 1 (यात्रा के दौरान एक यात्री की हत्या)
कारण: आतंकियों द्वारा हाईजैक
विशेष: भारत सरकार को तीन आतंकियों को रिहा करना पड़ा, इस घटना ने सुरक्षा ढांचे पर बड़ा सवाल खड़ा किया।
भारत में हुए ये विमान हादसे न सिर्फ तकनीकी और मानवीय चूक की भयावह कीमत दर्शाते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि सुरक्षा उपायों को लगातार सुदृढ़ करना कितना आवश्यक है। हर हादसे से एक सबक मिला। चाहे वह एटीसी की भूमिका हो, रनवे डिज़ाइन या मौसम की जानकारी की विश्वसनीयता।
हवाई यात्रा की सुरक्षा में सुधार अवश्य हुआ है, परंतु अतीत की इन घटनाओं की स्मृति आज भी पीड़ा दायक है।
अहमदाबाद का यह नया हादसा विमान यात्रा को और सुरक्षित बनाने के लिए संबंधित एजेंसियों को और गंभीर कार्य करने हेतु सबक दे रहा है।
सुभाष चंद्र बोस से रूपाणी तक
*विमान हादसों में कई राजनेताओं को खो चुका है देश*
(पवन वर्मा-विनायक फीचर्स)
गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने लोगों को अंतस तक झकझोर दिया है। ऐसा भीषण हादसा और उसके वीडियो देखकर लोग कराह उठे। इस विमान हादसे में 268 लोगों की मौत अब तक हो चुकी है, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी इस हादसे में काल के गाल में समां गए। यह पहला मौका नहीं है जब देश ने विमान हादसे में किसी नेता को खोया हो, इससे पहले भी देश के कई नेता विमान हादसों में समय से पहले इस दुनिया को अलविदा कहते हुए अनंत यात्रा पर चले गए। इनमें अब विजय रूपाणी का नाम भी जुड़ गया है।
रुपाणी पहली बार 2016 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने, इसके बाद चुनाव में फिर से भाजपा की सरकार बनी और वे फिर से मुख्यमंत्री बनाए गए। विजय रुपाणी 2021 तक मुख्यमंत्री रहे थे।
करीब 60 साल पहले भी गुजरात ने विमान हादसे में अपना एक वरिष्ठ नेता खो दिया था। वर्ष 1965 में हुई एक विमान दुर्घटना में गुजरात राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बलवंत राय मेहता का निधन हो गया था।
बलवंत राय मेहता के असमय गुजर जाने के करीब आठ साल बाद फिर एक नेता को विमान दुर्घटना लील गई। दिल्ली के पास हुए हादसे में एस. मोहन कुमार मंगलम की मौत हो गई थी। यह हादसा 31 मई 1973 में हुआ था। मंगलम पूर्व सांसद और मंत्री थे।
*संजय गांधी की हवाई हादसे में मारे गए थे*
संजय गांधी भी ऐसे ही हादसे में मारे गए थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र और कांग्रेस के कद्दावर नेता संजय गांधी के विमान का हादसा दिल्ली के पास हुआ था। यह घटना 23 जून 1980 की है। संजय गांधी ग्लाइडर में करतब दिखाते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे और उनकी मौत हो गई ।
पंजाब के पूर्व राज्यपाल सुरेंद्र नाथ की भी मौत विमान हादसे में हुई थी। हादसा इतना दर्दनाक था कि उनके परिवार के 9 लोग भी इसमें असमय मौत के मुंह में चले गए थे। यह हादसा हिमाचल में 9 जुलाई 1994 को हुआ था।
इसके बाद ऐसे ही एक हादसे में पूर्व केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री एनवीएन सोमू की मौत हुई थी। यह घटना 14 नवंबर 1997 की है। यह हादसा तवांग के पास हुआ था। मई 2001 में अरुणाचल प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री डेरा नाटुंग की भी विमान दुर्घटना में मौत हो गयी थी।
*माधवराव सिंधिया की भी प्लेन क्रेश में हुई थी मौत*
इसके बाद जिस नेता की विमान हादसे में जान गई, उसने मध्यप्रदेश को झकझोर दिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया का मध्य प्रदेश में उस वक्त खासा प्रभाव था, उनका निधन भी हवाई दुर्घटना में हुआ था। सिंधिया के साथ यह हादसा 30 सितंबर 2001 को हुआ था। कानपुर के पास उनका प्लेन क्रेश हो गया था, इसमें उनके साथ सात और लोगों की भी मौत हुई थी।
*बालयोगी का भी ऐसे ही हुआ निधन*
लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी को भी हम हैलीकॉप्टर क्रैश में खो चुके हैं। उनका हादसा तीन मार्च 2002 को हुआ था।
मेघालय के पूर्व मंत्री साइप्रियन संगमा का निधन 22 सितंबर 2004 को हेलीकॉप्टर क्रैश में हुआ था। हरियाणा के पूर्व कृषि मंत्री और उद्योगपति सुरेंद्र सिंह और ओपी जिंदल का भी हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था। यह घटना मार्च 2005 की थी। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की मौत भी हेलीकॉप्टर क्रैश होने से दो सितंबर 2009 को हो गई थी। वहीं तीस अप्रैल 2011 को अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दोरजी खांडू सहित पांच लोगों की मौत हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुई थी।
*नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत*
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू, जापानी फॉमोर्सा (अब ताइपेई, ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में हुआ था। वह जापानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल सुनामासा शिदेई के अतिथि के रूप में बमवर्षक विमान में यात्रा कर रहे थे जब विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि, बोस की मृत्यु को लेकर कई विवाद और अनिश्चितताएं हैं,माना जाता है कि इस दुर्घटना में नेताजी सुरक्षित बच निकले थे लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार इस दुर्घटना में ही उनका निधन हो गया था।
*विमान हादसे के बाद सुरक्षा प्रणाली पर उठते सवाल*
( नरेंद्र शर्मा परवाना-विभूति फीचर्स)
हवाई यात्रा, आधुनिक युग की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक, ने दूरी को कम कर दुनिया को एक वैश्विक गांव में बदल दिया है। लेकिन जब यही तकनीक जीवन का अंत बन जाए, तो यह न केवल एक त्रासदी होती है, बल्कि हमारी प्रणालियों की कमियों को भी उजागर करती है। हाल ही में गुजरात में हुआ चार्टर्ड विमान हादसा इस बात का दुखद उदाहरण है। इस हादसे ने न केवल कई परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई, बल्कि विमानन सुरक्षा और प्रणालियों पर गंभीर सवाल भी खड़े किए हैं। इस हृदय विदारक दुर्घटना के बाद इसके कारणों, प्रभावों और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करना भी आवश्यक है ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
*हादसा और इसके संभावित कारण*
प्राथमिक जांच के अनुसार, यह हादसा उड़ान के दौरान इंजन फेल होने या नेविगेशन सिस्टम की विफलता के कारण हुआ। हालांकि मृत्यु संख्या की आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। इस हादसे ने एक बार फिर विमानन सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं।
विश्व स्तर पर देखें तो विमानन इतिहास में 33,000 से अधिक हवाई दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें 1.2 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। भारत में 1945 के बाद से 300 से अधिक बड़े और छोटे हवाई हादसे हुए हैं, जिनमें लगभग 2,000 लोगों की मृत्यु हुई है। गुजरात में ही अहमदाबाद के पास 1988 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-113 के दुर्घटनाग्रस्त होने से 113 लोगों की मौत हुई थी, जो तकनीकी खराबी और कम दृश्यता के कारण हुआ था।
*हादसों के प्रमुख कारण*
1. **तकनीकी खराबी**: इंजन फेल होना, सेंसर या हाइड्रोलिक सिस्टम की खराबी, या नेविगेशन उपकरणों का काम न करना। उदाहरण के लिए, इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के अनुसार, 20 प्रतिशत टेकऑफ दुर्घटनाएं तकनीकी खराबी के कारण होती हैं।
2. **मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां** खराब मौसम, जैसे घना कोहरा या तेज हवाएं, विमान की स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं।
3. **पायलट की गलती** ICAO के आंकड़ों के अनुसार, 65 प्रतिशत टेकऑफ दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं, जैसे गलत गति आकलन या रनवे की गलत स्थिति।
4. **रखरखाव में लापरवाही** समय पर सर्विसिंग न होना या पुराने उपकरणों का उपयोग।
5. **एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की त्रुटियां** गलत दिशानिर्देश या संचार में देरी।
*हादसे के सामाजिक और मानविक प्रभाव*
हर हवाई दुर्घटना केवल आंकड़ों की कहानी नहीं होती, बल्कि यह उन परिवारों की जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल देती है जो अपने प्रियजनों को खो देते हैं। वलसाड हादसे में मृतकों की सटीक संख्या की पुष्टि भले ही न हुई हो, लेकिन यह निश्चित है कि इसने कई परिवारों को गहरे दुख में डुबो दिया है। एक मां का अपने बच्चे को खोना, एक बच्चे का अपने माता-पिता को खोना—ये ऐसी त्रासदियां हैं जिनका दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
ऐसे हादसों के बाद सरकारी सहायता और मुआवजे की घोषणाएं होती हैं, लेकिन ये अक्सर अपर्याप्त साबित होती हैं। पीड़ित परिवारों को न केवल आर्थिक सहायता चाहिए, बल्कि मनोवैज्ञानिक समर्थन, बच्चों की शिक्षा और आश्रितों के लिए रोजगार जैसी दीर्घकालिक व्यवस्थाएं भी जरूरी हैं। इसके अलावा, हादसों के बाद स्थानीय समुदायों पर भी प्रभाव पड़ता है। हादसा रिहायशी इलाके के पास होने से, स्थानीय लोगों को भी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
*क्या सरकार और कंपनियां सीख ले रही हैं?*
वर्तमान हादसा हमें बार-बार यह सवाल पूछने को मजबूर करता है कि क्या हम इन त्रासदियों से सबक ले रहे हैं? भारत में विमानन सुरक्षा के लिए कई उपाय किए गए हैं, लेकिन बार-बार होने वाले हादसे बताते हैं कि कहीं न कहीं कमी बनी हुई है।
**सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारियां**:
– **सुरक्षा मानकों की समीक्षा**: विमानों की नियमित तकनीकी जांच और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित करना।
– **पायलट प्रशिक्षण**: पायलटों के लिए नियमित रिफ्रेशर कोर्स और सिमुलेशन प्रशिक्षण, ताकि आपात स्थिति में वे सही निर्णय ले सकें।
– **स्वतंत्र जांच**: हर हादसे की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच, जिसके निष्कर्ष सार्वजनिक किए जाएं।
– **एयर ट्रैफिक कंट्रोल में सुधार**: ATC सिस्टम को और मजबूत करना, ताकि संचार में कोई त्रुटि न हो।
**विमानन कंपनियों की भूमिका**:
– **नियमित सर्विसिंग**: विमानों की समय पर जांच और रखरखाव, खासकर इंजन और नेविगेशन सिस्टम की।
– **अनुभवी पायलट**: केवल अनुभवी और प्रशिक्षित पायलटों की नियुक्ति।
– **आधुनिक तकनीक**: उन्नत सिग्नलिंग और बैकअप सिस्टम का उपयोग, ताकि तकनीकी खराबी के जोखिम को कम किया जा सके।
हालांकि ये उपाय पहले से मौजूद हैं, फिर भी हादसे रुक नहीं रहे। इसका मतलब है कि या तो इन नीतियों का कार्यान्वयन ठीक नहीं हो रहा, या फिर जिम्मेदारी तय करने में कमी है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को हर हादसे की गहन जांच करनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
*सुरक्षा की गारंटी कब?*
हवाई यात्रा आज की दुनिया में अनिवार्यता बन चुकी है। यह न केवल समय बचाती है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और सामाजिक संपर्क का आधार भी है। लेकिन जब यह जीवन के लिए खतरा बन जाए, तो हमें अपनी प्रगति पर सवाल उठाने होंगे। यह विमान हादसा महज एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि सुरक्षा को कागजों तक सीमित नहीं रखा जा सकता। इसे जमीन पर लागू करना होगा।
सरकार, विमानन कंपनियां और समाज सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में कोई और परिवार इस तरह की त्रासदी का शिकार न बने। तकनीकी खामियों को ठीक करने, पायलटों को बेहतर प्रशिक्षण देने और रखरखाव पर सख्ती बरतने जैसे कदमों से ही हवाई यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित बनाया जा सकता है।
**महा वाक्य**: “तकनीक की उड़ान तभी सफल है जब उसमें हर जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित हो-वरना वह प्रगति नहीं, त्रासदी है।”
यह समय है कि हम एकजुट होकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि हवाई यात्रा वास्तव में प्रगति का प्रतीक बने, न कि दुख का कारण।
