*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- जैसा अन्न वैसा मन*
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*आज का पञ्चांग*
*दिनाँक:-09/08/2025,शनिवार*
*पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष,*
*श्रावण*
(समाप्ति काल)
तिथि———- पूर्णिमा 13:24:00 तक
पक्ष——————-‐—– शुक्ल
नक्षत्र———— श्रवण 14:22:39
योग———– सौभाग्य 26:14:01
करण————— बव 13:24:01
करण———– बालव 24:49:45
माह————————- श्रावण
चन्द्र राशि—– मकर 26:10:06
चन्द्र राशि—————— कुम्भ
सूर्य राशि——————– कर्क
रितु————————— वर्षा
आयन—————— दक्षिणायण
संवत्सर——————- विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर) ————–सिद्धार्थी
विक्रम संवत—————- 2082
गुजराती संवत————– 2081
शक संवत—————— 1947
कलि संवत—————— 5126
सूर्योदय—————- 05:47:58
सूर्यास्त—————– 19:01:03
दिन काल————– 13:13:04
रात्री काल————– 10:47:26
चंद्रास्त—————– 06:07:11
चंद्रोदय—————– 19:16:59
लग्न—- कर्क 22°29′ , 112°29′
सूर्य नक्षत्र—————– आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र——————- श्रवण
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
खे—- श्रवण 08:26:28
खो—- श्रवण 14:22:39
गा—- धनिष्ठा 20:17:10
गी—- धनिष्ठा 26:10:06
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= कर्क 22°49 , आश्लेषा 2 डू
चन्द्र= मकर 18°30 , श्रवण 3 खे
बुध = कर्क 10°52 ‘ पुष्य 3 हो
शु क्र= मिथुन 16°05, आर्द्रा , 3 ङ
मंगल= कन्या 07°30 ‘उ o फ़ा o 4 पी
गुरु=मिथुन 19°30 आर्द्रा , 4 छ
शनि=मीन 07°48 ‘ उ o भा o , 2 थ
राहू=(व) कुम्भ 25°40पू o भा o, 2 सो
केतु= (व) सिंह 25°40 पूoफा o 4 टू
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*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩*
राहू काल 09:06 – 10:45 अशुभ
यम घंटा 14:04 – 15:43 अशुभ
गुली काल 05:48 – 07:27 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 07:34 – 08:27 अशुभ
वर्ज्यम 18:19 – 19:54. अशुभ
प्रदोष 19:01 – 21:12 शुभ
🚩पंचक 26:10* – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
काल 05:48 07:27 अशुभ
शुभ 07:27 – 09:06 शुभ
रोग 09:06 – 10:45 अशुभ
उद्वेग 10:45 – 12:25 अशुभ
चर 12:25 – 14:04 शुभ
लाभ 14:04 – 15:43 शुभ
अमृत 15:43 – 17:22 शुभ
काल 17:22 -19:01 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
लाभ 19:01 -20:22 शुभ
उद्वेग 20:22 – 21:43 अशुभ
शुभ 21:43 – 23:04 शुभ
अमृत 23:04 – 24:25* शुभ
चर 24:25*25:46* शुभ
रोग 25:46* – 27:07* अशुभ
काल 27:07* – 28:28* अशुभ
लाभ 28:28* – 29:49* शुभ
💮होरा, दिन
शनि 05:48- 06:54
बृहस्पति 06:54- 08:00
मंगल 08:00 -09:06
सूर्य 09:06 -10:12
शुक्र 10:12 -11:18
बुध 11:18 -12:25
चन्द्र 12:25- 13:31
शनि 13:31 -14:37
बृहस्पति 14:37- 15:43
मंगल.15:43- 16:49
सूर्य 16:49- 17:55
शुक्र 17:55- 19:01
🚩होरा, रात
बुध 19:01- 19:55
चन्द्र 19:55- 20:49
शनि 20:49 -21:43
बृहस्पति 21:43 -22:37
मंगल 22:37- 23:31
सूर्य 23:31- 24:25
शुक्र 24:25-25:19
बुध 25:19-26:13
चन्द्र 26:13-27:07
शनि 27:07-28:01
बृहस्पति 28:01-28:55
मंगल 28:55-29:49
*🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
कर्क > 04:00 से 06:20 तक
सिंह > 06:20 से 08:42 तक
कन्या > 08:42 से 10:56 तक
तुला > 10:56 से 13:16 तक
वृश्चिक > 13:16 से 15:36 तक
धनु > 15:36 से 17:46 तक
मकर > 17:46 से 19:28 तक
कुम्भ > 19:28 से 20:48 तक
मीन > 20:48 से 22:08 तक
मेष > 22:08 से 00:04 तक
वृषभ > 00:04 से 01:48 तक
मिथुन > 01:48 से 3:56 तक
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*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 7 + 1 = 23 ÷ 4 = 3 शेष
पृथ्वी लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चंद्र ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
15 + 15 + 5 = 35 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*श्रावण पूर्णिमा*
*ब्राह्मण महापर्व (श्रावणी उपाकर्म )*
*भाई बहन का पर्व रक्षाबंधन*
*सर्वार्थ सिद्धि योग 14:23*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
एकोऽपि गुणवान् पुत्रो निर्गुणैश्च शतैर्वरः ।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च ताराः सहस्त्रशः ।।
।।चाo नीo।।
सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चन्द्रमा ही रात्रि के अन्धकार को भगाता है, असंख्य तारे यह काम नहीं करते.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: अर्जुन विषादयोग:- अo-1
ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ।
माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शंखौ प्रदध्मतुः॥
इसके अनन्तर सफेद घोड़ों से युक्त उत्तम रथ में बैठे हुए श्रीकृष्ण महाराज और अर्जुन ने भी अलौकिक शंख बजाए
॥14॥
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। पारिवारिक उन्नति होगी। सुखद यात्रा के योग बनेंगे। स्वविवेक से कार्य करना लाभप्रद रहेगा।
🐂वृष
पुराना रोग उभर सकता है। शोक समाचार मिल सकता है। भागदौड़ रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। अधूरे कामों में गति आएगी। व्यावसायिक गोपनीयता भंग न करें। गीत-संगीत में रुचि बढ़ेगी। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
👫मिथुन
शत्रु सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य कमजोर होगा। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। बेरोजगारी दूर होगी। लाभ होगा। मान-प्रतिष्ठा में कमी आएगी। कामकाज में बाधाएं आ सकती हैं। कर्मचारियों पर व्यर्थ संदेह न करें। आर्थिक तंगी रहेगी।
🦀कर्क
यात्रा सफल रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। लाभ होगा। व्यापार-व्यवसाय में उन्नति के योग हैं। वाणी पर संयम आवश्यक है। जीवनसाथी से मदद मिलेगी। सामाजिक यश-सम्मान बढ़ेगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
🐅सिंह
पुराने मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। मान बढ़ेगा। स्वजनों से मेल-मिलाप होगा। नौकरी में ऐच्छिक पदोन्नति की संभावना है। किसी की आलोचना न करें। खानपान का ध्यान रखें। आर्थिक संपन्नता बढ़ेगी।
🙍♀️कन्या
रोजगार मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। व्यावसायिक समस्या का हल निकलेगा। नई योजना में लाभ की संभावना है। घर में मांगलिक आयोजन हो सकते हैं। जीवनसाथी से संबंध घनिष्ठ होंगे।
⚖️तुला
ऐश्वर्य पर व्यय होगा। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। राजकीय कार्य में परिवर्तन के योग बनेंगे। आलस्य का परित्याग करें। आपके कामों की लोग प्रशंसा करेंगे। व्यापार लाभप्रद रहेगा। नई कार्ययोजना के योग प्रबल हैं।
🦂वृश्चिक
राजमान प्राप्त होगा। नए अनुबंध होंगे। नई योजना बनेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। कार्य में व्यय की अधिकता रहेगी। दांपत्य जीवन में भावनात्मक समस्याएँ रह सकती हैं। व्यापार में नए अनुबंध आज नहीं करें।
🏹धनु
पुराना रोग उभर सकता है। चोट व दुर्घटना से बचें। वस्तुएं संभालकर रखें। बाकी सामान्य रहेगा। व्यापार-व्यवसाय सामान्य रहेगा। दूरदर्शिता एवं बुद्धि चातुर्य से कठिनाइयां दूर होंगी। राज्य तथा व्यवसाय में सफलता मिलने के योग हैं। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी।
🐊मकर
पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के काम निबटेंगे। लाभ के अवसर मिलेंगे। प्रसन्नता रहेगी। कुछ मानसिक अंतर्द्वंद्व पैदा होंगे। पारिवारिक उलझनों के कारण मानसिक कष्ट रहेगा। धैर्य एवं संयम रखकर काम करना होगा। यात्रा आज न करें।
🍯कुंभ
धनार्जन होगा। संतान के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। परिवार के सहयोग से दिन उत्साहपूर्ण व्यतीत होगा। योजनानुसार कार्य करने से लाभ की संभावना है। आर्थिक सुदृढ़ता रहेगी। बेचैनी रहेगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी।
🐟मीन
लेन-देन में सावधानी रखें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रखें। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। कानूनी मामले सुधरेंगे। धन का प्रबंध करने में कठिनाई आ सकती है। आहार की अनियमितता से बचें। व्यापार, नौकरी में उन्नति होगी।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
*जैसा अन्न वैसा मन*
*एक बार एक ऋषि ने सोचा- कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ- कि सारे पाप गंगा में समा गए,और गंगा भी पापी हो गयी !*
*_अब यह जानने के लिए तपस्या की, कि पाप कहाँ जाता है….?_*
*_तपस्या करने के फलस्वरूप देवता प्रकट हुए, ऋषि ने पूछा कि भगवन जो पाप गंगा में धोया जाता है- वह पाप कहाँ जाता है…?_*
*_भगवान ने कहा: कि चलो गंगा से ही पूछते है, दोनों लोग गंगा के पास गए और कहा कि “हे गंगे ! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुई !”_*
*_गंगा ने कहा: “मैं क्यों पापी हुई, मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ !”_*
*_अब वे लोग समुद्र के पास गए, “हे सागर ! गंगा जो पाप आपको अर्पित कर देती है- तो इसका मतलब आप भी पापी हुए !”_*
*_समुद्र ने कहा: “मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बना कर बादल बना देता हूँ !”_*
*_अब वे लोग बादल के पास गए और कहा “हे बादल ! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते है, तो इसका मतलब आप…पापी….!_*
*_बादलों ने कहा: “मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को वापस पानी बरसा कर धरती पर भेज देता हूँ- जिससे अन्न उपजता है-जिसको मानव खाता है!_*
*_उस अन्न में- जो अन्न जिस मानसिक स्थिति से उगाया जाता है, जिस वृत्ति से प्राप्त किया जाता है- और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है- उसी के अनुसार मानव की मानसिकता बनती है !”_*
*_अन्न को जिस वृत्ति (कमाई ) से प्राप्त किया जाता है- और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है- वैसे ही विचार मानव के बन जाते है ! इसीलिये सदैव भोजन सिमरन और शांत अवस्था मे करना चाहिए,और कम से कम अन्न जिस धन से खरीदा जाए, वह धन ईमानदारी एवं श्रम का होना चाहिए !_*
*_जैसे:_*
*_भीष्म पितामह शरशय्या पर पड़े प्राण त्यागने के लिए शुक्लपक्ष के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे! भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर युधिष्ठिर उनसे प्रतिदिन नीति ज्ञान लेते थे। द्रौपदी कभी नहीं जाती थीं।_*
*_इससे भीष्म के मन में पीड़ा थी। श्रीकृष्ण ने भांप लिया था। उन्होंने युधिष्ठिर से कहा- अंतकाल की प्रतीक्षा में साधनारत पूर्वज से सपरिवार मिलना चाहिए।_*
*_परिवार पत्नी के बिना पूर्ण नहीं है।_*
*_इशारा समझकर युधिष्ठिर जिद करके द्रौपदी को भी साथ ले गए।_*
*_पितामह उन्हें नीति का ज्ञान देने लगे। द्रौपदी कुंठित होकर चुपचाप सुन रही थी, अचानक द्रोपदी को हंसी आ गई।_*
*_भीष्म ने कहा: पुत्री तुम्हारे हंसने का कारण मैं जानता हूँ।_*
*_द्रोपदी सकुचाई,तो भीष्म ने कहा: पुत्री तुम अपने मन की दुविधा पूछ ही लो, मुझे शांति मिलेगी।_*
*_द्रोपदी ने कहा: स्वयं भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं -कि भीष्म के समान नीति का ज्ञाता दूसरा कोई नहीं- किंतु आपका ज्ञान कहां लुप्त हो गया था, जब पुत्रवधू आपके सामने निवस्त्र की जा रही थी?_*
*_भीष्म ने कहा: इसी प्रश्न की प्रतीक्षा थी। “जैसा अन्न वैसा मन ” मैं दुर्योधन जैसे अधर्मी का अन्न खा रहा था। उस अन्न ने मेरी बुद्धि जड़ कर दी थी। सही निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो गई थी।_*
*_अन्न ही रक्त का कारक है। अर्जुन के बाणों ने मेरे शरीर से वह रक्त धीरे- धीरे करके निकाल दिया है। अब इस शरीर में सिर्फ गंगापुत्र भीष्म शेष है। सिर्फ माता का अंश है- जो सबको निर्मल करती हैं इसलिए मैं नीति की बातें कर पा रहा हूं।_*
*_भीष्म पितामह की बात को अटल सत्य समझिए। दुराचार से या किसी को सताकर कमाए गए धन से यदि आप परिवार का पालन करते हैं तो वह परिवार की बुद्धि भ्रष्ट करता है। उससे जो सुख है वह क्षणिक है किंतु लंबे समय में वह दुख का कारण बनता है। यदि आपके सामने गलत तरीके से पैसा कमाकर भी कोई फल-फूल रहा है तो यह समझिए कि वे उसके पूर्वजन्म के संचित पुण्य हैं जिसे निगल रहा है। जैसे ही वे पुण्य कर्म समाप्त होंगे, उसके दुर्दिन आरंभ होंगे।_*
