धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग-जैसा अन्न वैसा मन*

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*आज का पञ्चांग*

*दिनांक:-08/07/2025,मंगलवार*
*त्रयोदशी, शुक्ल पक्ष,*
*आषाढ*
(समाप्ति काल)

तिथि———- त्रयोदशी 24:37:49 तक
पक्ष————————– शुक्ल
नक्षत्र————- ज्येष्ठा 27:14:10
योग————– शुक्ल 22:15:59
करण———– कौलव 11:57:22
करण———— तैतुल 24:37:49
वार———————– मंगलवार
माह———————— आषाढ
चन्द्र राशि—– वृश्चिक 27:14:10
चन्द्र राशि——————– धनु
सूर्य राशि—————— मिथुन
रितु————————— वर्षा
आयन—————— दक्षिणायण
संवत्सर——————–विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर) ————–सिद्धार्थी
विक्रम संवत—————–2082
गुजराती संवत————– 2081
शक संवत—————— 1947
कलि संवत—————— 5126
सूर्योदय—————- 05:31:34
सूर्यास्त—————– 19:16:58
दिन काल————– 13:45:23
रात्री काल————– 10:15:03
चंद्रोदय—————– 17:28:07
चंद्रास्त—————– 27:40:03
लग्न—- मिथुन 21°54′ , 81°54′
सूर्य नक्षत्र——————- पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र——————- ज्येष्ठा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

नो—- ज्येष्ठा 07:44:13

या—- ज्येष्ठा 14:15:58

यी—- ज्येष्ठा 20:45:58

यू—- ज्येष्ठा 27:14:10

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
============================
सूर्य= मिथुन 21°49, पुनर्वसु 1 के
चन्द्र= वृश्चिक 18 °30 , ज्येष्ठा 1 नो
बुध = कर्क 17°52 ‘ आश्लेषा 1 डी
शु क्र= वृषभ 09°05, कृतिका , 4 ए
मंगल= सिंह 17°30 ‘ पू o फ़ा o 2 टा
गुरु=मिथुन 12°30 आर्द्रा , 2 घ
शनि=मीन 07°48 ‘ उ o भा o , 2 थ
राहू=(व) कुम्भ 27°20 पू o भा o, 3 दा
केतु= (व) सिंह 27°20 उ oफा o 1 टे
============================

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩*

राहू काल 15:51 – 17:34 अशुभ
यम घंटा 08:58 – 10:41 अशुभ
गुली काल 12:24 – 14:07 अशुभ
अभिजित 11:57 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 08:17 – 09:12 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:23 – 24:18* अशुभ
वर्ज्यम 07:18 – 09:03 अशुभ
प्रदोष 19:17 – 21:21 शुभ

🚩गंड मूल अहोरात्र अशुभ

💮चोघडिया, दिन
रोग 05:32 – 07:15 अशुभ
उद्वेग 07:15 – 08:58 अशुभ
चर 08:58 – 10:41 शुभ
लाभ 10:41 – 12:24 शुभ
अमृत 12:24 – 14:07 शुभ
काल 14:07 – 15:51 अशुभ
शुभ 15:51 – 17:34 शुभ
रोग 17:34 – 19:17 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
काल 19:17 – 20:34 अशुभ
लाभ 20:34 – 21:51 शुभ
उद्वेग 21:51 – 23:08 अशुभ
शुभ 23:08 – 24:24* शुभ
अमृत 24:24* – 25:41* शुभ
चर 25:41* – 26:58* शुभ
रोग 26:58* – 28:15* अशुभ
काल 28:15* – 29:32* अशुभ

💮होरा, दिन
मंगल 05:32 – 06:40
सूर्य 06:40 – 07:49
शुक्र 07:49 – 08:58
बुध 08:58 – 10:07
चन्द्र 10:07 – 11:15
शनि 11:15 – 12:24
बृहस्पति 12:24 – 13:33
मंगल 13:33 – 14:42
सूर्य 14:42 – 15:51
शुक्र 15:51 – 16:59
बुध 16:59 – 18:08
चन्द्र 18:08 – 19:17

🚩होरा, रात
शनि 19:17 – 20:08
बृहस्पति 20:08 – 20:59
मंगल 20:59 – 21:51
सूर्य 21:51 – 22:42
शुक्र 22:42 – 23:33
बुध 23:33 – 24:24
चन्द्र 24:24* – 25:16
शनि 25:16* – 26:07
बृहस्पति 26:07* – 26:58
मंगल 26:58* – 27:50
सूर्य 27:50* – 28:41
शुक्र 28:41* – 29:32

*🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

मिथुन > 03:54 से 06:04 तक
कर्क > 06:04 से 08:24 तक
सिंह > 08:24 से 10:44 तक
कन्या > 10:44 से 12:58 तक
तुला > 12:58 से 15:18 तक
वृश्चिक > 15:18 से 17:38 तक
धनु > 17:38 से 19:52 तक
मकर > 19:52 से 21:30 तक
कुम्भ > 21:30 से 22:50 तक
मीन > 22:50 से 00:12 तक
मेष > 00:12 से 02:04 तक
वृषभ > 02:04 से 03:56 तक
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*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————- उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

13 + 3 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शनि ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

13 + 13 + 5 = 31 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*भौम प्रदोष व्रत (शिव पूजन)*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम् ।
सम्भ्रमः स्नेहमाख्यातिवपुराख्याति भोजनम् ।।
।। चाo नीo।।

मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: मोक्षसंन्यासयोग:- अo-18

स्वभावजेन कौन्तेय निबद्धः स्वेन कर्मणा।
कर्तुं नेच्छसि यन्मोहात्करिष्यस्यवशोऽपि तत्‌॥

हे कुन्तीपुत्र! जिस कर्म को तू मोह के कारण करना नहीं चाहता, उसको भी अपने पूर्वकृत स्वाभाविक कर्म से बँधा हुआ परवश होकर करेगा
॥60॥

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
विवेक का प्रयोग करें। समस्याएं कम होंगी। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय रहेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे।

🐂वृष
नौकरी में अधिकार मिल सकते हैं। सुख के साधन जुटेंगे। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। स्वास्थ्‍य संबंधी चिंता बनी रहेगी। आशंका व कुशंका रहेगी। कार्य में बाधा संभव है। उत्साह बना रहेगा।

👫मिथुन
कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कि अपमान हो। व्यापार-व्यवसाय अनुकूल रहेगा। निवेश सोच-समझकर करें। नौकरी में चैन रहेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा।

🦀कर्क
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में सावधानी रखें। विवाद से क्लेश हो सकता है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। पार्टनरों से कहासुनी हो सकती है। भागदौड़ होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। लाभ के लिए प्रयास करें।

🐅सिंह
वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय सताएगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। तंत्र-मंत्र में रुचि जागृत होगी। किसी जानकार व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे।

🙍‍♀️कन्या
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। सुख के साधन जुटेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। धनहानि हो सकती है। सावधानी आवश्यक है। थकान महसूस होगी।

⚖️तुला
घर के छोटे सदस्यों संबंधी चिंता रहेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यापार मनोनुकूल रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी न करें।

🦂वृश्चिक
कोई बड़ा खर्च एकाएक सामने आएगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। कुसंगति से बचें। किसी व्यक्ति के काम की जवाबदारी न लें। स्वयं के काम पर ध्यान दें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। विवाद को बढ़ावा न दें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्यापार ठीक चलेगा। कार्यकुशलता कम होगी।

🏹धनु
अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ने के योग हैं। कोई बड़ी समस्या का अंत हो सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। लेन-देन में सावधानी रखें।

🐊मकर
फिजूलखर्ची ज्यादा होगी। शत्रु भय रहेगा। शारीरिक कष्ट से बाधा उत्पन्न होगी। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। नए काम करने का मन बनेगा। दूर यात्रा की योजना बनेगी। व्यापार से लाभ होगा। नौकरी में चैन रहेगा। जोखिम न लें।

🍯कुंभ
प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। लाभ देगा। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि में जल्दबाजी न करें। लाभ होगा।

🐟मीन
एकाएक स्वास्थ्‍य खराब हो सकता है, लापरवाही न करें। दूर से दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। व्यर्थ दौड़धूप होगी। विवाद से स्वाभिमान को चोट पहूंच सकती है। काम में मन नहीं लगेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। आय में निश्चितता रहेगी। जोखिम न लें।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*जैसा अन्न वैसा मन*

*एक बार एक ऋषि ने सोचा- कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ- कि सारे पाप गंगा में समा गए,और गंगा भी पापी हो गयी !*
*_अब यह जानने के लिए तपस्या की, कि पाप कहाँ जाता है….?_*

*_तपस्या करने के फलस्वरूप देवता प्रकट हुए, ऋषि ने पूछा कि भगवन जो पाप गंगा में धोया जाता है- वह पाप कहाँ जाता है…?_*
*_भगवान ने कहा: कि चलो गंगा से ही पूछते है, दोनों लोग गंगा के पास गए और कहा कि “हे गंगे ! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुई !”_*
*_गंगा ने कहा: “मैं क्यों पापी हुई, मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ !”_*
*_अब वे लोग समुद्र के पास गए, “हे सागर ! गंगा जो पाप आपको अर्पित कर देती है- तो इसका मतलब आप भी पापी हुए !”_*
*_समुद्र ने कहा: “मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बना कर बादल बना देता हूँ !”_*
*_अब वे लोग बादल के पास गए और कहा “हे बादल ! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते है, तो इसका मतलब आप…पापी….!_*
*_बादलों ने कहा: “मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को वापस पानी बरसा कर धरती पर भेज देता हूँ- जिससे अन्न उपजता है-जिसको मानव खाता है!_*
*_उस अन्न में- जो अन्न जिस मानसिक स्थिति से उगाया जाता है, जिस वृत्ति से प्राप्त किया जाता है- और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है- उसी के अनुसार मानव की मानसिकता बनती है !”_*
*_अन्न को जिस वृत्ति (कमाई ) से प्राप्त किया जाता है- और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है- वैसे ही विचार मानव के बन जाते है ! इसीलिये सदैव भोजन सिमरन और शांत अवस्था मे करना चाहिए,और कम से कम अन्न जिस धन से खरीदा जाए, वह धन ईमानदारी एवं श्रम का होना चाहिए !_*
*_जैसे:_*
*_भीष्म पितामह शरशय्या पर पड़े प्राण त्यागने के लिए शुक्लपक्ष के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे! भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर युधिष्ठिर उनसे प्रतिदिन नीति ज्ञान लेते थे। द्रौपदी कभी नहीं जाती थीं।_*
*_इससे भीष्म के मन में पीड़ा थी। श्रीकृष्ण ने भांप लिया था। उन्होंने युधिष्ठिर से कहा- अंतकाल की प्रतीक्षा में साधनारत पूर्वज से सपरिवार मिलना चाहिए।_*
*_परिवार पत्नी के बिना पूर्ण नहीं है।_*
*_इशारा समझकर युधिष्ठिर जिद करके द्रौपदी को भी साथ ले गए।_*
*_पितामह उन्हें नीति का ज्ञान देने लगे। द्रौपदी कुंठित होकर चुपचाप सुन रही थी, अचानक द्रोपदी को हंसी आ गई।_*
*_भीष्म ने कहा: पुत्री तुम्हारे हंसने का कारण मैं जानता हूँ।_*
*_द्रोपदी सकुचाई,तो भीष्म ने कहा: पुत्री तुम अपने मन की दुविधा पूछ ही लो, मुझे शांति मिलेगी।_*
*_द्रोपदी ने कहा: स्वयं भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं -कि भीष्म के समान नीति का ज्ञाता दूसरा कोई नहीं- किंतु आपका ज्ञान कहां लुप्त हो गया था, जब पुत्रवधू आपके सामने निवस्त्र की जा रही थी?_*
*_भीष्म ने कहा: इसी प्रश्न की प्रतीक्षा थी। “जैसा अन्न वैसा मन ” मैं दुर्योधन जैसे अधर्मी का अन्न खा रहा था। उस अन्न ने मेरी बुद्धि जड़ कर दी थी। सही निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो गई थी।_*
*_अन्न ही रक्त का कारक है। अर्जुन के बाणों ने मेरे शरीर से वह रक्त धीरे- धीरे करके निकाल दिया है। अब इस शरीर में सिर्फ गंगापुत्र भीष्म शेष है। सिर्फ माता का अंश है- जो सबको निर्मल करती हैं इसलिए मैं नीति की बातें कर पा रहा हूं।_*
*_भीष्म पितामह की बात को अटल सत्य समझिए। दुराचार से या किसी को सताकर कमाए गए धन से यदि आप परिवार का पालन करते हैं तो वह परिवार की बुद्धि भ्रष्ट करता है। उससे जो सुख है वह क्षणिक है किंतु लंबे समय में वह दुख का कारण बनता है। यदि आपके सामने गलत तरीके से पैसा कमाकर भी कोई फल-फूल रहा है तो यह समझिए कि वे उसके पूर्वजन्म के संचित पुण्य हैं जिसे निगल रहा है। जैसे ही वे पुण्य कर्म समाप्त होंगे, उसके दुर्दिन आरंभ होंगे।_*

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