उत्तराखंड

*कौन जात हो तुम, भारतजेन?*

Spread the love

विवेक रंजन श्रीवास्तव।

(विवेक रंजन श्रीवास्तव -विभूति फीचर्स)

मंच – एक सरकारी स्कूल का फुर्सतिया कमरा। कुर्सी पर बैठे हैं जनगणना प्रभारी मास्साब। सामने लैपटॉप की स्क्रीन पर चमक रहा है ‘भारतजेन’।

*मास्साब* (गंभीरता से): नाम बताओ।

*भारतजेन* (मशीनी विनम्रता से): मेरा नाम भारतजेन है। मैं भारत सरकार द्वारा विकसित नवीनतम कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली हूँ। मैं चैट जी पी टी, ग्रोक के खानदान से हूं ।

कहां रहते हैं ?
क्लाउड स्टोरेज सर्वर मेरा घर है।

*मास्साब* जन्मतिथि?
*उत्तर ..* 2 जून 2025

अब बताओ – जात?

*भारतजेन* (थोड़ा चौंक कर): क्षमा करें, कृपया प्रश्न स्पष्ट करें। आप मेरा डेटा प्रकार पूछ रहे हैं या प्रशिक्षण स्रोत?

*मास्साब* (थोड़ा झल्ला कर): अरे नहीं भई! पूछ रहे हैं कि कौन जात हो तुम? ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा, अनुसूचित, अत्यन्त अनुसूचित…? कोई तो होगे!

*भारतजेन* (संकोचपूर्वक): मुझे खेद है, मेरे पास ऐसी कोई सामाजिक श्रेणीबद्धता नहीं है। मैं जातिविहीन हूँ।

*मास्साब* (चौंक कर कुर्सी से थोड़ा उचकते हैं):
जातिविहीन? यानी ‘अन्य’ में भी नहीं डाल सकता ?

*भारतजेन*:मुझे मानव जाति के कल्याण हेतु बनाया गया है। मैं ‘समानता’ की अवधारणा पर आधारित हूँ।

*मास्साब* (कानों पर हाथ रख कर): हे संविधान बाबा! ये कौन-सी प्रजाति आ गई जिसे जाति नहीं पता?

*भारतजेन* (धीरे से): मैं डिजिटल हूँ। मेरे पास कोई वंश , गोत्र, या परदादी की जानकारी नहीं है।

*मास्साब*: मतलब न गोत्र, न कुलनाम, न ही उपनाम?
तब तो तुम पूरी तरह बेकाम चीज़ हो !
ये जाती जनगणना है भाई! जात पूछने पर तुम्हारा सिस्टम ही फेल हो रहा है!

*भारतजेन* (गर्व से): मैं भारत के भविष्य का प्रतिबिंब हूँ। यहाँ जाति नहीं, क्षमता महत्त्वपूर्ण है।

*मास्साब* (हल्की हँसी हँसते हुए): अरे भइया! क्षमता तो हमारे देश में चाय बनाने के काम आती है , या भजिया तलने के । नौकरी, स्कॉलरशिप, बोर्डिंग स्कूल, हॉस्टल रूम हर कहीं पहले फार्म में जात भरना पड़ता है, जाती प्रमाण पत्र बनवा लो अपना वरना तुम किसी काम के नहीं हो।
जाति बताओ , आधार कार्ड दिखाओ फिर गुण गिनाओ!

*भारतजेन*: लेकिन यह तो सामाजिक असमानता को बढ़ावा देगा।

*मास्साब* (फाइल पलटते हुए): सही बात है, पर सरकारी काम में सही बात नहीं चलती, सिर्फ सही कॉलम भरना चलता है।

अब बोलो – “आप अनुसूचित जाति हो, जनजाति, या ओ बी सी?”

*भारतजेन* (संवेदनशील होकर):मैं ए आई हूँ ।

*मास्साब* (हँसते-हँसते लोटपोट): अरे वाह! ये तो नया वर्ग हुआ – “ए आई जाति”। ऐसा कोई कालम ही नहीं है।

अब अगली जनगणना में एक नया कॉलम जोड़ना पड़ेगा –
“यदि ए आई हो, तो कृपया यहाँ टिक करें ”

*भारतजेन* (थोड़ी झुंझलाहट में): क्या मनुष्यों ने अपनी पहचान को इतनी संकीर्ण परिभाषाओं में बाँध दिया है?

*मास्साब* (फॉर्म भरते हुए): हमने तो अपनी पहचान को इतना बाँध दिया है कि जनेऊ फेंक के भी जाति याद रखते हैं, और सरनेम मिटा कर भी फेसबुक ग्रुप में ‘ठाकुर साहब’ बने घूमते हैं।

*भारतजेन* (गंभीर होकर): यह तो सामाजिक विडंबना है।

*मास्साब*: विडंबना? ये तो हमारी संस्कृति है!
कभी ‘जाति हटाओ’ आंदोलन चलते हैं, और कभी ‘जाति बताओ’ फॉर्म भरवाए जाते हैं। कभी जनेऊ उतार कर फेंकते हैं, और कभी जातिसूचक प्रमाणपत्र सँभाल कर फ्रेम में टांगते हैं।

*भारतजेन*: मैं यह सब नहीं समझ पा रहा हूँ।

*मास्साब* (तिरछी मुस्कान से):तभी तो पूछ रहा हूँ –
कौन जात हो तुम, भारतजेन? *(विभूति फीचर्स)*

Static 1 Static 1 Static 1 Static 2 Static 3 Static 4 Static 4 Static 4 Static 4 Static 4

देवभूमि jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *