*शतगायत्री पुरश्चरण महायज्ञ से ही कलिकाल में शान्ति सम्भव है – स्वामी निर्मल स्वरूप ब्रह्मचारी*
देवभूमि जे के न्यूज़-(जय कुमार तिवारी) –
जम्मू/कठुआ _ सनातन धर्म संस्कृति एवं परम्परा के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु निरन्तर जप, तप एवं यज्ञ के माध्यम से विश्व कल्याणार्थ चिन्तनशील परम पूज्य अनन्त श्रीविभूषित यज्ञसम्राट महामंडलेश्वर स्वामी श्रीप्रखर जी महाराज के सानिध्य में
विश्वव्यापी आतंकवाद का शमन, हिन्दू राष्ट्र निर्माण एवं विश्व शान्ति हेतु परम पूज्य अनन्तश्री विभूषित स्वामी श्री प्रखर जी महाराज के सानिध्य में 2000 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा 43 दिनों में 200 कुण्डीय विराट शत (100) गायत्री पुरश्चरण महायज्ञ दिनांक: 08 मार्च से 19 अप्रैल 2026 (चैत्र कृष्ण पक्ष पञ्चमी, रविवार से वैशाख शुक्ल पक्ष द्वितीया, रविवार रौद्र सम्वत्सर) महायज्ञ स्थलः गायत्री शक्तिपीठ, मणिवेदिका पीठ, पुष्कर, राजस्थान, भारत। महाराज श्री ने इस विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ में अखण्ड भारत वर्ष के विभिन्न प्रान्तों में सभाओं को संबोधित किया उन्हीं सभाओं के क्रम में 17 दिसंबर 2025 दिन बुधवार को दोपहर 03:30 बजे, डोगरा ब्राह्मण प्रतिनिधि सभा, जम्मू में भी विप्र बन्धुओं सहित समाज के प्रबुद्ध लोगों को सम्बोधित किया। इसमें देशभर में आयोजित सभाओं में बटुक ब्रह्मचारी ने संकल्प के विषय में जो बताया है जिस पर महाराजश्री विस्तार से जानकारी देते हुए अपना प्रवचन दिया। अपने प्रवचन के क्रम में उन्होंने कहा कि
आप सभी भली-भाँति अवगत हैं कि भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में विविध प्रकार के उपद्रवों से भय, अशान्ति एवं आतंकवाद का वातावरण सर्वत्र व्याप्त है। भययुक्त, अशान्त वातावरण से धर्मवान सज्जन भी अत्यन्त भयभीत व चिन्तित हैं क्योंकि जिस प्रकार से सनातन धर्म को कुठाराघात पहुँचाने का कुत्सित प्रयत्न किया जा रहा है, उससे समस्त सनातन धर्मी व्यथित हैं एवं कब-कहाँ-क्या हो जाए? इस बात को लेकर हर समय सशंकित रहते हैं, जिसका उदाहरण कुछ समय पूर्व बांग्लादेश का घटनाक्रम है, जहाँ सनातन धर्मियों को प्रताड़ित किया गया, जिसका क्रम अभी भी जारी है। हिन्दुस्तान में भी ऐसे घटनाक्रम यदा-कदा दिखाई दे रहे हैं।
ऐसी विषम परिस्थितियों में एक राष्ट्रवादी महापुरुष, परम पूज्य स्वामी श्री प्रखर जी महाराज, जिनका चिन्तन सदैव व्यापक रूप से विश्व कल्याण रहा है, जब-जब विश्व में कहीं कोई विपदा आई है, तब-तब उन्होंने अग्रणी भूमिका में आकर यज्ञ-यागादि विविध अनुष्ठानों व शुभ कर्मों को सम्पन्न कराकर उससे सृजित शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा से भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व को समय-समय पर अनेकों संकटों से उबारा है। उदाहरण के रूप में जब वैश्विक महामारी कोरोना (कोविड-19) से सम्पूर्ण विश्व भयाक्रान्त था, वैक्सीन व बूस्टर डोज भी मृत्यु दर को नहीं रोक पा रही थी, तब भगवती दुर्गा जी के आदेश से उस महामारी के शमन हेतु पूज्य महाराजश्री के सानिध्य में काशी के द्वारिकाधीश मन्दिर परिसर, शंकुलधारा पोखरा में 500 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा 51 दिवसीय 100 कुण्डीय विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ का आयोजन दिनांक 18 जनवरी 2021 को आरम्भ किया गया। दिनांक 09 मार्च 2021 को महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ ही विश्व स्तर पर वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों द्वारा यह घोषित किया गया कि अब आगे कोरोना महामारी का दुष्प्रभाव नहीं रहेगा, जिसका सुखद परिणाम हम सभी के सम्मुख है एवं जिसका समाचार हिंदुस्तान सहित समस्त विश्व के प्रमुख समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुआ था।
उसी दैवज्ञ कृपा के क्रम में अब भगवती माता गायत्री की प्रेरणा से भारत सहित सम्पूर्ण विश्व को आतंकवाद, अशान्ति व विविध उपद्रवों से मुक्त कराने तथा भारत राष्ट्र में सनातन धर्म की रक्षा व पुनर्स्थापना हेतु शत (100) गायत्री पुरश्चरण महायज्ञ का विराट आयोजन 2000 त्रिकाल सन्ध्यावन्दन तत्पर कर्मनिष्ठ ब्राह्मणों द्वारा गायत्री शक्तिपीठ, ब्रह्मतीर्थ पुष्कर में सम्पन्न होने जा रहा है।
एक पुरश्चरण में 24 लाख गायकी मन्त्रों का जप होता है, अतः 100 पुरश्चरण में 24 करोड़ गायत्री मन्त्रों का जप होगा, जिसके दशांश हवन होगा। इस प्रकार इस महायज्ञ में कुल 27 करोड़ गायत्री मन्त्रों का प्रयोग होगा। हवन हेतु यज्ञशाला में 200 यज्ञ कुण्डों का निर्माण होगा जिसमें 200 भाग्यशाली ब्राह्मण यजमान भाग लेंगे। पूर्वकाल में भी महामुनि विश्वामित्र जी ने सृष्टि क्रम के परिवर्तन हेतु शत गायत्री पुरश्चरण महायज्ञ, पुष्कर तीर्थ में किया था, जिसके फलस्वरूप विश्व सृष्टि में परिवर्तन किस प्रकार आया, वह हमें पुराणों में मुनि विश्वामित्र जी के चरित्र से प्राप्त होता है।
उसी क्रम में जम्मू कश्मीर में अपनी साधना से समाज को सदमार्ग पर लाने वाले स्वामी निर्मल स्वरूप ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा कि शत गायत्री पुरश्चरण महायज्ञ से जो शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा (ब्राह्मी शक्ति) सृजित होगी, उससे भारत सहित सम्पूर्ण विश्व के धर्मविरुद्ध आचरण करने वालों का मन अवश्य परिवर्तित होगा, परिणाम स्वरूप वह स्वतः ही सनातनी बन जाएंगे। विप्रजनों (ब्राह्मणों) का जीवन धन तो गायत्री माता ही हैं, अतः महामुनि विश्वामित्र के पश्चात पुनः पुष्कर तीर्थ में अनुष्ठित होने वाले इस महायज्ञ के अंग, समस्त विप्र जन अवश्य बनें, दर्शनार्थ पधारें तथा यथा सामर्थ्य तन, मन एवं धन की सेवा के साथ अपनी उपस्थिति अवश्य सुनिश्चित करें।
इसी क्रम में यज्ञ में विषय में प्रकाश डालते हुए श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास व गुरुकुल एवं मन्दिर सेवा योजना प्रमुख जम्मू कश्मीर प्रान्त डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय ने बताया कि यद्यपि यह विराट महायज्ञ ब्राह्मणों के द्वारा तथा ब्राह्मण मात्र के सहयोग से अनुष्ठित हो रहा है परन्तु यह महायज्ञ विश्व कल्याण के लिए सम्पन्न हो रहा है। अतः इसके फल से सम्पूर्ण विश्व के प्राणी मात्र का कल्याण होगा।
इस अवसर पर डोगरा ब्राह्मण प्रतिनिधि सभा परेड ग्राउंड जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष पंडित वेद प्रकाश शर्मा ने बताया कि आज जम्मू में महाराज जी के आगमन से ब्राह्मणों का स्वाभिमान जागृत हुआ है। उसी क्रम में ब्राह्मण प्रतिनिधि सभा के सभी सदस्यों ने महाराज श्री का भव्य स्वागत किया।
इस अवसर पर सौ से अधिक विद्वान विप्रजन उपस्थित रहे।
