*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग-असली खजाना*
*आज का पंचांग*
– तिथि: शुक्ल अष्टमी, 06:07 PM तक
– नक्षत्र: मूल 06:18 AM तक, पूर्वाषाढ़ा 32:07:32 तक
– करण: बव 06:07 PM तक
– पक्ष: शुक्ल पक्ष
– योग: शोभन 01:03 AM तक
– वार: मंगलवार
– सूर्योदय: 06:13 AM
– सूर्यास्त: 06:08 PM
– चन्द्रमा: धनु राशि में
– ऋतु: शरद
*अशुभ मुहूर्त*
– राहु कालं: 03:09 PM से 04:39 PM तक
– यमगंड कालं: 09:08 AM से 10:37 AM तक
– गुलिकालं: 12:07 PM से 01:36 PM तक
*12 राशिफल
– *मेष*: व्यापारिक मामलों में जवाबदारी बढ़ेगी। कर्मचारियों से नाराज रह सकते हैं। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
– *वृषभ*: बातें कम और काम ज्यादा करें। कार्यक्षेत्र में नए प्रस्ताव प्राप्त हो सकते हैं। परिवार में अनुरूप स्थिति बनेगी।
– *मिथुन*: कार्यक्षेत्र में नए अवसर प्राप्त होंगे। परिवार में सुख-शांति रहेगी। वाहन क्रय करने के योग बन रहे हैं।
– *कर्क*: जिम्मेदारी से भाग रहे हैं तो संभल जाएं। कार्यस्थल पर योग्यता के अनुरूप कार्य करें। संतान की चिंता बढ़ेगी।
– *सिंह*: विरोधियों के कारण व्यापारिक बाधाएं आएंगी। परिश्रम की तुलना में सफलता कम मिलने से हताश होंगे।
– *कन्या*: व्यापार में लाभ की स्थिति बनेगी। परिवार में मांगलिक कार्यों की रूपरेखा बनेगी। समाज में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
– *तुला*: अनावश्यक मामलों से दूर रहें। माता के साथ विवाद हो सकता है।
– *वृश्चिक*: सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में लाभ होगा। आपका मन खुश रहेगा।
– *धनु*: आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। परिवार में खुशियां आएंगी।
– *मकर*: राजनितिक संबंधों का लाभ मिलेगा। नौकरी में स्थानांतरण न होने से मन खिन्न रहेगा।
– *कुंभ*: समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। पुराने मित्र से मुलाकात होगी। कार्यक्षेत्र में विरोधियों से सावधान रहें।
– *मीन*: व्यापारिक नई योजनाओं का प्रारंभ होगा। बड़े राजनीतिज्ञों से भेंट होगी। कलात्मक कार्य में रुचि बढ़ेगी।
*💐असली खजाना🦚*
लम्बे समय से बीमार चल रहे दादा जी की तबियत अचानक ही बहुत अधिक बिगड़ गयी. दादी का बहुत पहले ही देहांत हो चुका था, बड़ा बेटा उनकी देखभाल करता था।
अंतिम समय जानकर उन्होंने अपने चारों बहु-बेटों को पास बुलाया. पर जिस दिन सब इकठ्ठा हुए उस दिन उनकी तबियत इतनी खराब हो गयी कि वो बोल भी नहीं पा रहे थे… फिर उन्होंने इशारे से कलम मांगी और एक कागज पर कांपते हाथों से कुछ लिखने लगे…।
पर जैसे ही उन्होंने एक शब्द लिखा उनकी मौत हो गयी…।
कागज पे “आम” लिखा देख सबने सोचा कि शायद वे अंतिम समय में अपना पसंदीदा फल आम खाना चाहते थे।
उनकी आखिर इच्छा जान कर उनके मृत्यु भोज में कई क्विंटल आम बांटें गए।
कुछ समय बाद भाइयों ने पुश्तैनी प्रॉपर्टी बेचने का फैसला लिया और एक बिल्डर को अच्छे दाम में सबकुछ बेच दिया।
बिल्डर ने कुछ दिन बाद जब वहां काम लगवाया. पुरानी बिल्डिंग तोड़ी जाने लगी, बागीचे के पेड़ पौधे उखाड़े जाने लगे।
और उस दिन जब आम का पेड़ उखाड़ा गया तो मजदूरों की आँखें फटी की फटी रह गयीं… पेड़ के ठीक नीचे दशकों से गड़ा एक पुराना संदूक पड़ा हुआ था।
बिल्डर ने फ़ौरन मजदूरों को पीछे किया और संदूक खोलने लगा…
संदूक में कई करोड़ मूल्य के हीरे-जवाहरात चमचमा रहे थे।
बिल्डर मानो ख़ुशी से पागल हो गया…जितने की प्रॉपर्टी नहीं थी उसकी सौ-गुना कीमत वाले खजाने पर अब उसका हक था।
भाइयों को जब इस बारे में पता चला तो उन्हें बड़ा पछतावा हुआ, कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी लगाए पर फैसला बिल्डर के हक में गए।
चारो भाई जब एक दिन मुंह लटकाए बैठे थे तभी अचानक छोटा भाई बोला…।
“अरे…. उस दिन बाबूजी ने इसलिए कागज पर आम नहीं लिखा था क्योंकि उन्हें आम खाना था…वो तो हमें इसे खजाने का पता बताना चाहते थे।
चारों बेटे मन ही मन सोचने लगे… जीवन भर हम उस पेड़ के इर्द-गिर्द रहे, किनती बार उस पे चढ़े-उतरे, उस जमीन पर चहल कदमी की… वो खजाना तब भी वहीँ पड़ा हुआ था पर हम उसके बारे में कुछ नहीं जान पाए और अंत में वो हमारे हाथ से निकल गया।
काश बाबूजी ने पहले ही हमें उसके बारे में बता दिया होता!
*💐शिक्षा💐*
दोस्तों, खजाना सिर्फ ज़मीन के नीचे नहीं छिपा होता, असली खजाना हमारे भीतर छिपा होता है. और वो हीरे-जवाहरातों से कहीं अधिक मूल्यवान होता है।
लेकिन दुनिया के ज्यादातर लोग उस खजाने को कभी पा नहीं पाते…
क्यों? क्योंकि वे beyond the obvious सोचने-करने की कोशिश ही नहीं करते.
“आम” लिख दिया मतलब आम खाना है… कुछ और दिमाग ही मत लगाओ, सोचो ही मत… जैसे ज़िन्दगी चल रही है…चलने दो… जैसे सब करते आये हैं वैसे ही करते जाओ… रिस्क मत लो… पैदा हो…पढो-लिखो…नौकरी-धंधा करो…परिवार बनाओ…दुनिया से चले जाओ.
अरबों लोग यही कर रहे हैं…हमने भी कर लिया तो क्या?
अरे! जागो भाई! अपने खजाने को बर्बाद मत होने दो…कुरेदों अपने अन्दर की परतों को … पता करो उस महान चीज के बारे जिसे तुम करने के लिए पैदा हुए हो… अपनी uniqueness, अपनी आइडेंटिटी को भीड़ के पैरों तले कुचलने मत दो।
और तभी आप असली खजाने के हक़दार हो पाओगे!
बुराई पर अच्छाई, अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजयदशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वार भेजी गई कहानियों द्वारा आप भी अपने अन्दर छुपे रावण को समाप्त कर अपने व समाज के कल्याण के लिए आगे आएंगे।
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है।।*
