उत्तराखंड

*दिनेश चन्द्र वर्मा, जिन्होंने पत्रकारिता को धर्म की तरह धारण किया*

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देवभूमि जे के न्यूज़-
(मुकेश “कबीर “-विनायक फीचर्स)

विनायक फीचर्स के संस्थापक स्वर्गीय दिनेश चंद्र वर्मा एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने आदर्श पत्रकारिता को ना सिर्फ परिभाषित किया बल्कि ताउम्र उसको जिया भी। पत्रकारिता उनके लिए सिर्फ व्यवसाय नहीं बल्कि धर्म था, पत्रकारिता को उन्होने ऐसा धारण किया था कि यह उनके कृतित्व ही नहीं बल्कि व्यक्तित्व में भी झलकती थी, यहां तक कि एकदम अजनबी भी पहली नज़र में ही समझ लेता था कि वे पत्रकार हैं। वैसे वे हमारे चाचा थे लेक़िन हम उनके लेखन के कारण उनके करीब आये थे, हम बचपन में उनको आचार्य रजनीश कहते थे क्योंकि उनका व्यक्तित्व और चेहरा ख़ासकर आँखें बिल्कुल रजनीश जैसी ही थीं, वैसे ही सम्मोहक, किसी को भी मोहित करने वाली, उनके लम्बे बाल उनकी पहचान बन चुके थे लेक़िन इन सबके अलावा जो सबसे बड़ी बात उनमें थी ,वह थी उनकी विद्वत्ता। ऐसी अद्भुत विद्वत्ता अब कहीं देखने को नहीं मिलती फिर चाहे पत्रकारिता जगत हो साहित्य जगत।

उनको हर विषय की इतनी गहरी जानकारी थी कि जब वे बोलते तो ऐसा लगता जैसे उस विषय के प्रोफेसर हों,प्राचीन इतिहास पर तो इतना कमांड था कि बड़े बड़े इतिहासकार भी उनसे सलाह मशविरा करते थे, बहुत से ब्यूरोक्रेट्स उनके शोध पूर्ण लेख न केवल पढ़ते थे बल्कि रेकॉर्ड के लिए भी यूज करते थे। चाचा पढ़ने के बेहद शौक़ीन थे, उनके तकिये के पास बहुत सी किताबें हमेशा रखी होती थीं और कभी अन्य विद्वानों से विचार विमर्श में विवाद की स्थिति बनती तो तुरंत सम्बंधित विषय की किताब खोलकर पुष्टि कर देते थे, उन्हें पेज नंबर भी याद रहता था इसलिए तुरंत वही पेज खोल लेते थे।
मैं अक्सर मेरे बड़े भाई योगीराज योगेश जी (कंसल्टिंग एडिटर आईएनडी 24 चैनल) के साथ चाचा के घर जाया करता था, जब भी हम घर जाते तो चाचा किताबों में ही खोये रहते थे, हमेशा पढ़ते हुए ही मिलते थे फिर चाहे वह कोई किताब हो या समाचारपत्र। वे हिन्दुस्तान के हर अखबार की भाषा,शैली और विषय भी जानते थे इसलिए हर अखबार और पत्रिका में उनके लेख पहली बार में ही स्वीकार कर लिए जाते थे। उनका लेखन इतना व्यापक था कि सत्तर और अस्सी के दशक के सभी अखबार और मैगजीन में उनके लेख छपते थे। तब कोई ऐसी मैगजीन नहीं होती थी जिसमें उनका लेख या रिपोर्ट ना छपती हो। उनके मित्र तो कहते थे कि आँख बंद करके कोई सी भी मैगजीन ले आइये वर्मा जी का लेख जरूर मिलता है। शुरुआत में भूभारती के ब्यूरो चीफ थे लेक़िन धर्मयुग, सरिता, मुक्ता, कादम्बिनी,माया और अवकाश जैसी मैगजीन भी उनसे लेख की डिमांड करती थी। यही कारण था कि वह स्वतंत्र पत्रकारिता में रहकर भी काम के मोहताज़ नहीं रहे। अन्य लोगों के लिए स्वतंत्र लेखन में जीवन यापन भी मुश्किल होता था, वहीं चाचा के पास बहुत सी मैगजीन का एडवांस पेमेंट आ जाता था और विषय भी बता दिया जाता था अगले अंक के लिए। अस्सी नब्बे के दशक में चाचा देश के सबसे व्यस्त स्वतंत्र पत्रकार थे और इसका फायदा यह था कि उनका आत्मविश्वास बहुत हाई था और कोई भी उन पर दबाब नहीं डाल पाता था फिर चाहे कोई मंत्री हो या अधिकारी, सब उनसे झुककर ही मिलते थे। ज़्यादातर मंत्रियों से उनके बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध होते थे, इतने घनिष्ठ कि शासन और प्रशासन की अंदरूनी बातें भी उन्हें बहुत पहले पता चल जाती थीं। मोतीलाल वोरा जी जब उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बने तो उन्होंने तीन महीने पहले ही बता दिया था कि वोरा जी यूपी जाने वाले हैं। उनका राजनीतिक आकलन भी कभी गलत साबित नहीं हुआ वो किसी भी कैंडिडेट या पार्टी के हारने जीतने की घोषणा चुनाव से पहले ही कर देते थे जो हमेशा ही सही निकली,यहाँ तक कि मध्यप्रदेश में 2018 के विधान सभा चुनाव में जब शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी की लहर बताई जा रही थी तब चाचा ने कमलनाथ के जीतने की बात कह दी थी, जिस पर तब किसी को यक़ीन नहीं हो रहा था लेक़िन आखिर में कमलनाथ जी ही मुख्यमंत्री बने।
चाचा ने उस दौर में पत्रकारिता शुरू की थी जब पत्रकारिता का अर्थ धन कमाना नहीं होता था बल्कि नैतिकता और विद्वत्ता होती थी और ना ही तब देश में कोई सबसे तेज बढ़ता अखबार जैसी बात होती थी बल्कि सारे अखबार बड़े होते थे। तब अखबारों की प्रतिष्ठा उनकी बिल्डिंग से नहीं बल्कि न्यूज और लेख से होती थी तब पत्रकार और साहित्यकार में ज़्यादा फर्क नहीं होता था,धर्मवीर भारती और आर. के. करंजिया जैसे सम्पादक होते थे जो सरकारों को झुकाने की ताकत रखते थे, ऐसे निडर पत्रकारों की संगति का ही चाचा पर प्रभाव था। तब साप्ताहिक अखबारों का रुतबा आज के टीवी चैनलों से ज़्यादा था इसलिए चाचा ने भी अपना साप्ताहिक वचन बद्ध शुरू किया जो विदिशा जिले का तो प्रतिनिधि अखबार था ही प्रदेश के भी प्रतिष्ठित साप्ताहिकों में शुमार था, आज भी यह साप्ताहिक सफलता पूर्वक प्रकशित हो रहा है। यह सिर्फ अखबार ही नहीं बल्कि ऐसी धरोहर है जिसे चाचा ने अथक मेहनत के पसीने से सींचा है, यह वचनबद्ध ही है जो हर सप्ताह मित्रों और परिजनों को चाचा की मधुर स्मृतियां प्रदान करता है। आज चाचा की पुण्यतिथि है, विनम्र श्रद्धांजलि, सादर नमन..*(विनायक फीचर्स)* *(लेखक सुप्रसिद्ध राष्ट्रकवि एवं व्यंग्यकार हैं)*

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देवभूमि jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

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