उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- जैसा अन्न वैसा मन*

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📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द………………………5127
विक्रम संवत्…………………….2082
शक संवत्………………………..1947
मास……………………………..आषाढ़
पक्ष………………………………..शुक्ल
तिथी……………………………..दशमी
संध्या 06.57 पर्यंत पश्चात एकादशी
रवि……………………………उत्तरायण
सूर्योदय …………..प्रातः 05.47.01 पर
सूर्यास्त…………संध्या 07.1.6.00 पर
सूर्य राशि………………………..मिथुन
चन्द्र राशि…………………………तुला
गुरु राशी………………………..मिथुन
नक्षत्र……………………………स्वाति
संध्या 07.44 पर्यंत पश्चातम विशाखा
योग………………………………सिद्ध
रात्रि 08.28 पर्यंत पश्चात साध्य
करण…………………………….गरज
संध्या 06.57 पर्यंत पश्चात वणिज
ऋतु……………………..(शुचि) ग्रीष्म
दिन…………………………..शनिवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
05 जुलाई सन 2025 ईस्वी ।

☸ शुभ अंक…………………….5
🔯 शुभ रंग…………………….नीला

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.04 से 12.57 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 09.11 से 10.51 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त -*
*मिथुन*
04:25:51 06:39:32
*कर्क*
06:39:32 08:55:44
*सिंह*
08:55:44 11:07:32
*कन्या*
11:07:32 13:18:12
*तुला*
13:18:12 15:32:50
*वृश्चिक*
15:32:50 17:49:00
*धनु*
17:49:00 19:54:36
*मकर*
19:54:36 21:41:42
*कुम्भ*
21:41:42 23:15:14
*मीन*
23:15:14 24:46:27
*मेष*
24:46:27 26:27:12
*वृषभ*
26:27:12 28:25:51

🚦 *दिशाशूल :-*
पूर्व दिशा – यदि आवश्यक हो तो अदरक या उड़द का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.30 से 09.10 तक शुभ
दोप. 12.30 से 02.10 तक चर
दोप. 02.10 से 03.50 तक लाभ
दोप. 03.50 से 05.30 तक अमृत
संध्या 07.10 से 08.30 तक लाभ
रात्रि 09.50 से 11.10 तक शुभ ।

💮 *आज का मंत्र :-*
।। ॐ वज्राय नम: ।।

📢 *संस्कृत सुभाषितानि -*
*श्रीमद्भगवतगीता (द्वादशोऽध्यायः – भक्तियोग:) -*
तुल्यनिन्दास्तुतिर्मौनी सन्तुष्टो येन केनचित् ।
अनिकेतः स्थिरमति- र्भक्तिमान्मे प्रियो नरः ॥१२- १९॥
अर्थात :
जो निंदा-स्तुति को समान समझने वाला, मननशील और जिस किसी प्रकार से भी शरीर का निर्वाह होने में सदा ही संतुष्ट है और रहने के स्थान में ममता और आसक्ति से रहित है- वह स्थिरबुद्धि भक्तिमान पुरुष मुझको प्रिय है॥19॥

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*मुलेठी के घरेलू आयुर्वेदिक फायदे -*

*1. शरीर में पानी की पूर्ति -*
जब आपको बार-बार प्यास लगती है तो मुलेठी को चूसने से आपके शरीर को 50 प्रतिशत पानी की मात्रा मिलती है, जो हमारे शरीर में पानी से पूर्ति करती है।

*2. गले की समस्या -*
गले में किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो मुलेठी को चूसने से आपको फायदा मिलता है। इससे गला तो ठीक होता है, साथ ही हमारी आवाज भी मधुर बनती है।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार में लाभ होगा। निवेश शुभ रहेगा। संतान पक्ष से आरोग्य व अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। हानि संभव है। भाइयों का साथ मिलेगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। परिवार व मित्रों के साथ समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। शारीरिक कष्ट संभव है, सावधान रहें। निवेश शुभ रहेगा। तीर्थयात्रा की योजना बन सकती है।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
अचानक व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। बजट बिगड़ेगा। दूर से शोक समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें। किसी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। भागदौड़ रहेगी। बोलचाल में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। पुराना रोग उभर सकता है। व्यापार में अधिक ध्यान देना पड़ेगा। जोखिम न उठाएं।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
कष्ट, भय, चिंता व तनाव का वातावरण बन सकता है। जीवनसाथी पर अधिक मेहरबान होंगे। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में अनुकूलता रहेगी। लाभ में वृद्धि होगी। पारिवारिक प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यय होगा। मित्रों से मेलजोल बढ़ेगा। नए संपर्क बन सकते हैं। धनार्जन होगा।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
तरक्की के अवसर प्राप्त होंगे। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। मित्रों के साथ बाहर जाने की योजना बनेगी। रोजगार प्राप्ति के योग हैं। परिवार व स्नेहीजनों के साथ विवाद हो सकता है। शत्रुता में वृद्धि होगी। अज्ञात भय रहेगा। थकान महसूस होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।

👩‍🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
यात्रा सफल रहेगी। शारीरिक कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। नई योजना बनेगी। लोगों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। काफी समय से अटके काम पूरे होने के योग हैं। भरपूर प्रयास करें। आय में मनोनुकूल वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेने की स्थिति बन सकती है। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। व्ययसाय लाभप्रद रहेगा। कार्य पर ध्यान दें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
कोई राजकीय बाधा हो सकती है। जल्दबाजी में कोई भी गलत कार्य न करें। विवाद से बचें। काफी समय से अटका हुआ पैसा मिलने का योग है, प्रयास करें। या‍त्रा लाभदायक रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। वस्तुएं संभालकर रखें।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
किसी की बातों में न आएं। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। अचानक लाभ के योग हैं। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। व्यापार में वृद्धि से संतुष्टि रहेगी। नौकरी में जवाबदारी बढ़ सकती है। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। उत्साह से काम कर पाएंगे।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
परिवार की आवश्यकताओं के लिए भागदौड़ तथा व्यय की अधिकता रहेगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में विशेष सावधानी की आवश्यकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। कार्य की गति धीमी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। निवेश करने का समय नहीं है। नौकरी में मातहतों से अनबन हो सकती है, धैर्य रखें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
जोखिम व जमानत के कार्य टालें। शारीरिक कष्ट संभव है। व्यवसाय धीमा चलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी की नाराजी झेलनी पड़ सकती है। परिवार में मनमुटाव हो सकता है। सुख के साधनों पर व्यय सोच-समझकर करें। निवेश करने से बचें। व्यापार ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
किसी अपरिचित की बातों में न आएं। धनहानि हो सकती है। थोड़े प्रयास से ही काम सफल रहेंगे। मित्रों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

*जैसा अन्न वैसा मन*

*एक बार एक ऋषि ने सोचा- कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ- कि सारे पाप गंगा में समा गए,और गंगा भी पापी हो गयी !*
*_अब यह जानने के लिए तपस्या की, कि पाप कहाँ जाता है….?_*

*_तपस्या करने के फलस्वरूप देवता प्रकट हुए, ऋषि ने पूछा कि भगवन जो पाप गंगा में धोया जाता है- वह पाप कहाँ जाता है…?_*
*_भगवान ने कहा: कि चलो गंगा से ही पूछते है, दोनों लोग गंगा के पास गए और कहा कि “हे गंगे ! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुई !”_*
*_गंगा ने कहा: “मैं क्यों पापी हुई, मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ !”_*
*_अब वे लोग समुद्र के पास गए, “हे सागर ! गंगा जो पाप आपको अर्पित कर देती है- तो इसका मतलब आप भी पापी हुए !”_*
*_समुद्र ने कहा: “मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बना कर बादल बना देता हूँ !”_*
*_अब वे लोग बादल के पास गए और कहा “हे बादल ! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते है, तो इसका मतलब आप…पापी….!_*
*_बादलों ने कहा: “मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को वापस पानी बरसा कर धरती पर भेज देता हूँ- जिससे अन्न उपजता है-जिसको मानव खाता है!_*
*_उस अन्न में- जो अन्न जिस मानसिक स्थिति से उगाया जाता है, जिस वृत्ति से प्राप्त किया जाता है- और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है- उसी के अनुसार मानव की मानसिकता बनती है !”_*
*_अन्न को जिस वृत्ति (कमाई ) से प्राप्त किया जाता है- और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है- वैसे ही विचार मानव के बन जाते है ! इसीलिये सदैव भोजन सिमरन और शांत अवस्था मे करना चाहिए,और कम से कम अन्न जिस धन से खरीदा जाए, वह धन ईमानदारी एवं श्रम का होना चाहिए !_*
*_जैसे:_*
*_भीष्म पितामह शरशय्या पर पड़े प्राण त्यागने के लिए शुक्लपक्ष के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे! भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर युधिष्ठिर उनसे प्रतिदिन नीति ज्ञान लेते थे। द्रौपदी कभी नहीं जाती थीं।_*
*_इससे भीष्म के मन में पीड़ा थी। श्रीकृष्ण ने भांप लिया था। उन्होंने युधिष्ठिर से कहा- अंतकाल की प्रतीक्षा में साधनारत पूर्वज से सपरिवार मिलना चाहिए।_*
*_परिवार पत्नी के बिना पूर्ण नहीं है।_*
*_इशारा समझकर युधिष्ठिर जिद करके द्रौपदी को भी साथ ले गए।_*
*_पितामह उन्हें नीति का ज्ञान देने लगे। द्रौपदी कुंठित होकर चुपचाप सुन रही थी, अचानक द्रोपदी को हंसी आ गई।_*
*_भीष्म ने कहा: पुत्री तुम्हारे हंसने का कारण मैं जानता हूँ।_*
*_द्रोपदी सकुचाई,तो भीष्म ने कहा: पुत्री तुम अपने मन की दुविधा पूछ ही लो, मुझे शांति मिलेगी।_*
*_द्रोपदी ने कहा: स्वयं भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं -कि भीष्म के समान नीति का ज्ञाता दूसरा कोई नहीं- किंतु आपका ज्ञान कहां लुप्त हो गया था, जब पुत्रवधू आपके सामने निवस्त्र की जा रही थी?_*
*_भीष्म ने कहा: इसी प्रश्न की प्रतीक्षा थी। “जैसा अन्न वैसा मन ” मैं दुर्योधन जैसे अधर्मी का अन्न खा रहा था। उस अन्न ने मेरी बुद्धि जड़ कर दी थी। सही निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो गई थी।_*
*_अन्न ही रक्त का कारक है। अर्जुन के बाणों ने मेरे शरीर से वह रक्त धीरे- धीरे करके निकाल दिया है। अब इस शरीर में सिर्फ गंगापुत्र भीष्म शेष है। सिर्फ माता का अंश है- जो सबको निर्मल करती हैं इसलिए मैं नीति की बातें कर पा रहा हूं।_*
भीष्म पितामह की बात को अटल सत्य समझिए। दुराचार से या किसी को सताकर कमाए गए धन से यदि आप परिवार का पालन करते हैं तो वह परिवार की बुद्धि भ्रष्ट करता है। उससे जो सुख है वह क्षणिक है किंतु लंबे समय में वह दुख का कारण बनता है। यदि आपके सामने गलत तरीके से पैसा कमाकर भी कोई फल-फूल रहा है तो यह समझिए कि वे उसके पूर्वजन्म के संचित पुण्य हैं जिसे निगल रहा है। जैसे ही वे पुण्य कर्म समाप्त होंगे, उसके दुर्दिन आरंभ होंगे।।

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