उत्तराखंड

*हरिद्वार में गूंजा योग का मंत्र, पाँच स्थलों पर उमड़ा जनसैलाब*

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देव भूमि जे के न्यूज –
जय कुमार तिवारी –

हरिद्वार, 21 जून।
पवित्र गंगा के तट पर बसा आध्यात्मिक नगरी हरिद्वार शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर योगमय हो गया। सूरज की पहली किरण के साथ ही पाँच स्थलों—ऋषिकुल परिसर, प्रेम नगर आश्रम, माही पैलेस रुड़की, गुरुकुल परिसर, और अवधूत मंडल आश्रम—पर हजारों लोगों ने एक साथ सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान साधना कर भारतीय जीवन पद्धति के इस वैश्विक उत्सव में अपनी सक्रिय भागीदारी दर्ज कराई।
कार्यक्रमों की अगुवाई आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं विभाग उत्तराखंड और राष्ट्रीय आयुष मिशन, हरिद्वार के समन्वय से की गई। इन आयोजनों में न केवल जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की सशक्त उपस्थिति रही, बल्कि संत समाज, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी ने इन्हें विशेष बना दिया।

ऋषिकुल परिसर: योग की परंपरा को विज्ञान और नीति से जोड़ता केंद्र
हरिद्वार के हृदयस्थल पर स्थित उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में जैसे योग और संस्कृति एकाकार हो उठे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मदन कौशिक, विधायक हरिद्वार, ने अपने ओजस्वी संबोधन में कहा कि “आज पूरा विश्व भारत के योग की शक्ति से परिचित है। यह हमारी जड़ों का पुनर्जागरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को केवल वैश्विक मंच पर नहीं, बल्कि हर नागरिक के मन में प्रतिष्ठित किया है।”
स्वामी अनंतानंद जी महाराज (श्री कृष्णायन गौ रक्षा शाला) ने योग को “आत्मिक संवाद की मौन विधि” कहा।
योगाचार्य डॉ. प्रदीप खेर (जान्हवी योग केंद्र) ने बताया कि “आधुनिक जीवन की आपाधापी में योग ही वह सूत्र है जो हमें मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।”
कार्यक्रम में जगदीश महाराज, श्री विकास तिवारी (भाजपा नेता), और संतगण रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम की गरिमामयी उपस्थिति रही।
अध्यक्षता परिसर निदेशक प्रो. (डॉ) डीसी सिंह ने की जबकि डॉ. अवनीश उपाध्याय, जिला नोडल अधिकारी ने संचालन की बागडोर संभाली।
प्रमुख सहयोगी संस्थानों में साईं योग संस्थान गोविंदपुरी और विश्वविद्यालय के विभिन्न विभाग प्रमुख रहे।
200 से अधिक प्रतिभागियों ने योगाभ्यास किया।

प्रेम नगर आश्रम: संतों की शरण में साधना का उत्सव
हरिद्वार के सुप्रसिद्ध प्रेम नगर आश्रम में योग दिवस पर एक अत्यंत आध्यात्मिक और भव्य आयोजन देखने को मिला।
मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर आदि योगी पुरी जी महाराज (निरंजनी अखाड़ा) ने अपने वक्तव्य में कहा कि “योग केवल व्यायाम नहीं, चेतना के जागरण की प्रक्रिया है। भारत की यही चेतना आज विश्व को स्वास्थ्य, शांति और संतुलन का मार्ग दिखा रही है।”
महात्मा हरि संतोषानंद जी, डॉ. अनुपम जग्गा (DPS), श्री राजेंद्र प्रसाद (वंदे मातरम कुंज), श्री आशुतोष भंडारी (D.E.O.), मीरा रावत (आपदा प्रबंधन), एसडीएम लक्सर और हरिद्वार, और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने समाज में योग के समावेश को समय की माँग बताया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. संजय चतुर्वेदी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) और डॉ. स्वास्तिक सुरेश (जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी) ने किया।
डॉ. अश्वनी कौशिक एवं डॉ. घनेंद्र वशिष्ठ जैसे अनुभवी चिकित्सकों ने व्यवस्थाओं को सुचारु बनाया।
850 प्रतिभागियों की भागीदारी और DPS, डिवाइन लाइट स्कूल, वंदे मातरम कुंज, मैक्स हॉस्पिटल जैसी संस्थाओं के सहयोग से यह कार्यक्रम प्रदेश के योग आयोजनों में शीर्ष पर रहा।

रुड़की: योग, जनजागरण और युवा चेतना का मेल
रुड़की के माही पैलेस में हुआ आयोजन इस वर्ष के सबसे चर्चित आयोजनों में शामिल रहा।
मुख्य अतिथि श्री प्रदीप बत्रा, विधायक रुड़की, ने कहा कि “योग हमें आत्मशक्ति, आत्मनियंत्रण और आत्मविश्वास से जोड़ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे केवल स्वास्थ्य से नहीं, राष्ट्र निर्माण से जोड़ा है।”
श्री श्यामवीर सैनी, राकेश गिरी, किरण चौधरी, तथा मयंक गुप्ता जैसे सामाजिक नेताओं ने योग को जन-आंदोलन बनाने का आह्वान किया।
डॉ. प्रदीप कुमार और डॉ. सुजाता के नेतृत्व में सहज योग फाउंडेशन के सहयोग से 300 से अधिक प्रतिभागियों ने योग अभ्यास किया।

गुरुकुल परिसर: वैदिक परंपरा से जुड़ा योग का आधुनिक रूप
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के गुरुकुल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में श्री आदेश चौहान, विधायक रानीपुर, ने अपने उद्बोधन में गुरुकुल परंपरा और योग की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित किया।
डॉ. सुभाष नायक (अमृत संथानम) के साथ उपस्थित जनसमूह ने परंपरागत योग को आधुनिक स्वास्थ्य नीति से जोड़ने की बात कही।
प्रो. (डॉ) गिरिराज प्रसाद गर्ग की अध्यक्षता में कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
डॉ. विकास जैन और डॉ. कपिल गुप्ता जैसे अनुभवी चिकित्सकों की देखरेख में यह आयोजन 150 योग साधकों की भागीदारी के साथ संपन्न हुआ।

अवधूत मंडल आश्रम: ध्यान और मौन का योग संगम
संत परंपरा और शांति का स्थल अवधूत मंडल आश्रम में डॉ. उर्मिला (निरामय योग फाउंडेशन) और डॉ. घनेंद्र वशिष्ठ, जिला नोडल अधिकारी के सान्निध्य में कार्यक्रम आयोजित हुआ।
यहाँ योगाभ्यास के साथ-साथ ध्यान, जप और स्व-मूल्यांकन पर विशेष बल दिया गया।
100 प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया।
डॉ. सोरमी सोनकर और डॉ. सौम्या बाजपेई ने सहभागियों को मार्गदर्शन दिया।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा—
“योग केवल शरीर की कसरत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुशासन है, जो हमें विश्व से जोड़ता है, स्वयं से जोड़ता है।”
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों से आग्रह किया कि—
“योग को केवल आयोजन नहीं, आत्मसात करें। उत्तराखंड योग की जन्मस्थली है, और हम इस परंपरा को वैश्विक ऊर्जा में बदल रहे हैं।”

 ऋषिकुल परिसर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का भव्य आयोजन
“योग भारत की आत्मा है, और ऋषिकुल उसका जीवंत केंद्र” – विधायक मदन कौशिक
हरिद्वार, 21 जून।
गंगा तट पर स्थित उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल परिसर ने शुक्रवार की सुबह एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि योग केवल कक्षा या पटल का विषय नहीं, बल्कि जीवंत संस्कृति है — जो भारत की रगों में बहती है और हर श्वास में प्रकट होती है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 के उपलक्ष्य में यहाँ आयोजित विशेष योग समारोह ने न केवल हजारों की उपस्थिति से जन-जन को जोड़ा, बल्कि संत-शास्त्र और शासन—तीनों का अद्भुत समन्वय उपस्थित किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री मदन कौशिक, माननीय विधायक हरिद्वार के करकमलों से हुआ। अपने संक्षिप्त किंतु ओजस्वी वक्तव्य में उन्होंने कहा—
“ऋषिकुल वह भूमि है जहाँ योग केवल सिखाया नहीं जाता, जिया जाता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने योग को वैश्विक मान्यता दिलाकर भारत को आत्मगौरव लौटाया है। आज विश्व जिस मानसिक तनाव और शारीरिक अव्यवस्था से गुजर रहा है, उसका समाधान केवल योग में है।”
इस आयोजन को और अधिक आध्यात्मिक ऊँचाई पर पहुँचाया स्वामी अनंतानंद जी महाराज (श्री कृष्णायन देसी गौ रक्षा शाला) ने, जिनका शांत लेकिन प्रभावशाली संदेश था—
“योग मौन की भाषा है। यह शास्त्रों के परे वह अनुभव है जो आत्मा को परमात्मा से मिलाता है। ऋषिकुल का यह भूमि-तत्व हजारों वर्षों से उस मौन को संजोए हुए है।”
 संत, योगाचार्य और समाजसेवियों की सहभागिता
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित योगाचार्य डॉ. प्रदीप खेर (जान्हवी योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र) ने कहा कि “योग केवल स्वास्थ्य का विषय नहीं, यह जीवन प्रबंधन की अद्वितीय पद्धति है।”
श्री विकास तिवारी, युवा भाजपा नेता, ने कहा कि “नई पीढ़ी को योग की शक्ति से जोड़ना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है।”
रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, कनखल के जगदीश महाराज और संतगणों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को साधना की दिशा दी। परिसर में उपस्थित 200 से अधिक प्रतिभागियों ने एक साथ सूर्य नमस्कार, भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम, ताड़ासन, वज्रासन एवं शांति मंत्रों के साथ सामूहिक ध्यान किया।
 संचालन और संगठन का संयोजन
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर (डॉ.) डी.सी. सिंह, परिसर निदेशक, ऋषिकुल परिसर ने की।
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा—
“ऋषिकुल केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, संस्कृति और साधना की प्रयोगशाला है। योग हमारे पाठ्यक्रम से निकलकर हमारी चेतना का हिस्सा बनना चाहिए।”
संपूर्ण कार्यक्रम का संयोजन डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय, जिला नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय आयुष मिशन हरिद्वार के नेतृत्व में हुआ, जिनकी सूक्ष्म योजना और सतत मार्गदर्शन से यह आयोजन पूरे प्रदेश में उदाहरण बनकर उभरा।
कार्यक्रम प्रभारी के रूप में डॉ. दीक्षा शर्मा, डॉ. नावेद आजम और डॉ. विकास दुबे, चिकित्साधिकारी (आयुर्वेद विभाग) ने व्यवस्थाओं की कुशल निगरानी की।
सहयोगी संस्था के रूप में साईं योग संस्थान, गोविंदपुरी और उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून का महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा।
 विशेषताएं जो आयोजन को विशिष्ट बनाती हैं:
गंगा के समीप खुले प्रांगण में प्राकृतिक परिवेश के बीच योगाभ्यास
पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा के समक्ष ध्यान और शांति मंत्रों का सामूहिक पाठ
योग विषयक लघु प्रदर्शनी और हर्बल औषधियों की जानकारी
युवाओं, विद्यार्थियों, महिलाओं, वृद्धों और संन्यासियों की समान सहभागिता

 प्रेम नगर आश्रम में योग का आध्यात्मिक महोत्सव
“योग शरीर की क्रिया नहीं, आत्मा की गति है” – महामंडलेश्वर आदि योगी पुरी जी महाराज
हरिद्वार, 21 जून।
जब सूर्य की पहली किरण गंगा के किनारे आश्रम की सीढ़ियों से झांक रही थी, तब प्रेम नगर आश्रम के विशाल प्रांगण में श्रद्धा, साधना और स्वास्थ्य का ऐसा संगम देखने को मिला जिसने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को केवल एक आयोजन नहीं, अपितु योग और आत्मा के मिलन का दिव्य अनुष्ठान बना दिया।
आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं विभाग, उत्तराखंड और राष्ट्रीय आयुष मिशन हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित यह आयोजन हरिद्वार जनपद में सबसे अधिक जनसहभागिता वाला कार्यक्रम बनकर उभरा, जिसमें 850 से अधिक योग साधकों ने भाग लिया।
 संतों की उपस्थिति, साधकों की श्रद्धा और सामाजिक चेतना का अद्भुत संगम
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर आदि योगी पुरी जी महाराज (निरंजनी अखाड़ा) के उद्घाटन मंत्रों और आशीर्वचन से हुआ। उन्होंने योग के गूढ़ार्थ को समझाते हुए कहा—
“योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का सरल, मौन और शाश्वत मार्ग है। आज जब संसार चिंता, भय और अस्थिरता से जूझ रहा है, तब योग ही वह शांति-पथ है जो मानवता को भीतर से जोड़ता है।”
विशिष्ट अतिथि महात्मा हरि संतोषआनंद जी महाराज, महासचिव प्रेम नगर आश्रम, ने योग को सेवा और करुणा से जोड़ते हुए कहा कि “सच्चा योग वहीं है, जो भीतर की स्वार्थहीनता को जागृत करे और बाहर की अराजकता को शांत करे।”
 समाज, शिक्षा और प्रशासन की प्रभावशाली भागीदारी
इस आयोजन में केवल संतवर्ग ही नहीं, हरिद्वार की प्रशासनिक, शैक्षिक और सामाजिक शक्तियों की प्रभावी सहभागिता रही।
डॉ. अनुपम जग्गा (प्रधानाचार्य, डीपीएस), श्री राजेन्द्र प्रसाद (प्रधानाचार्य, वंदे मातरम कुंज), श्री आशुतोष भंडारी (जिला शिक्षा अधिकारी), अमरीश चौहान (निर्वाचन विभाग), मीरा रावत (आपदा प्रबंधन विभाग), एसडीएम लक्सर और हरिद्वार, श्रीमती उमा पांडेय, श्री उमाशंकर, डॉ. राजीव कराले, और श्री गोविंद कुर्ल जैसे विविध क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने योग को संपूर्ण समाज का आंदोलन बनाने की एक सशक्त झलक दी।
इन सभी अतिथियों ने मंच से योग के माध्यम से ‘स्वस्थ मन, सशक्त राष्ट्र’ की दिशा में प्रदेश और राष्ट्र की भूमिका को रेखांकित किया।
 नेतृत्व, योजना और चिकित्सा विशेषज्ञता का आदर्श समन्वय
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. संजय चतुर्वेदी, कार्यकारी अध्यक्ष, दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा—
“प्रेम नगर आश्रम की यह भूमि केवल साधना का केंद्र नहीं, वह स्थल है जहाँ योग और सेवा का वास्तविक मेल होता है। जब योग आत्मा से जुड़ता है, तब वह समाज को भी जोड़ने लगता है।”
डॉ. स्वास्तिक सुरेश, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, ने अपने संबोधन में सरकार की आयुष योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में योग दिवस जैसे आयोजनों की भूमिका स्पष्ट की।
कार्यक्रम प्रभारी के रूप में डॉ. अश्वनी कौशिक और डॉ. घनेंद्र वशिष्ठ (चिकित्साधिकारी) ने सूक्ष्म योजना और अनुशासन के साथ कार्यक्रम को संचालित किया।
सहयोगी संस्थानों की सूची भी गौरवशाली रही—डिवाइन लाइट पब्लिक स्कूल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, डिवाइन कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग, वंदे मातरम कुंज, भारतीय योग संस्थान, और मैक्स हॉस्पिटल देहरादून — जिनकी सहभागिता ने इस कार्यक्रम को संपूर्ण आयाम प्रदान किया।
 कार्यक्रम की विशेषताएं
संतों, समाजसेवियों और प्रशासनिक अधिकारियों का समान मंच पर संवाद
योगासनों के साथ ध्यान, मंत्रजप और प्राणायाम पर विशेष बल
युवाओं, महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और बालकों की समान उपस्थिति
जीवनशैली से जुड़े रोगों पर चिकित्सकीय सुझाव व परामर्श
आश्रम में स्वास्थ्य पर केंद्रित प्रदर्शनी व पुस्तिका वितरण

 रुड़की में योग की हुंकार: माही पैलेस बना जन-जागरण का केंद्र
“योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, राष्ट्रीय चरित्र निर्माण का साधन है” – विधायक प्रदीप बत्रा
रुड़की, 21 जून।
औद्योगिक और शैक्षिक पहचान के लिए प्रसिद्ध रुड़की शहर ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 पर अपने भीतर छिपे हुए एक और आयाम को उजागर किया—‘आध्यात्मिक जागृति और जनसामान्य की भागीदारी।’ माही पैलेस के भव्य प्रांगण में सुबह की स्वर्णिम रोशनी के साथ जब सैकड़ों लोगों ने एक साथ योगासन किए, तब ऐसा प्रतीत हुआ जैसे यह केवल आयोजन नहीं, बल्कि योग की चेतना का जनउद्घोष है।
आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं विभाग, उत्तराखंड के मार्गदर्शन और राष्ट्रीय आयुष मिशन, हरिद्वार के समन्वय से यह आयोजन हरिद्वार जनपद के सबसे संगठित और सामाजिक-संपृक्त आयोजनों में से एक रहा।

 विधायक प्रदीप बत्रा का ओजस्वी संदेश: “योग राष्ट्र निर्माण की मूलशिला”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय विधायक श्री प्रदीप बत्रा ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा—
“योग आज भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक पूंजी बन चुका है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने योग को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत कर राष्ट्र को नया आत्मविश्वास दिया है। अब बारी हम सबकी है कि इसे घर-घर तक पहुँचाकर भारत को आत्मनिर्भर, स्वस्थ और सशक्त राष्ट्र बनाएं।”
उन्होंने इस अवसर पर युवाओं से विशेष रूप से योग को जीवनचर्या में शामिल करने का आह्वान किया और कहा कि “शारीरिक बल, मानसिक एकाग्रता और नैतिक अनुशासन—इन तीनों का मेल योग के माध्यम से ही संभव है।”

 सामाजिक नेतृत्व की समवेत उपस्थिति
अति विशिष्ट अतिथि श्री श्यामवीर सैनी, प्रदेश स्तरीय गन्ना विकास सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष, ने योग को कृषि और श्रमिक वर्ग से जोड़ते हुए कहा—
“योग केवल कक्षा का विषय नहीं, खेत और खलिहान में श्रमिकों की जीवनशैली का भी हिस्सा होना चाहिए। इससे उत्पादन ही नहीं, परिवार और समाज दोनों सशक्त बनते हैं।”
विशिष्ट अतिथियों में श्री राकेश गिरी (प्रदेश अध्यक्ष, ओबीसी मोर्चा),
श्रीमती किरण चौधरी (जिला पंचायत अध्यक्ष), और
श्री मयंक गुप्ता (सहज योग फाउंडेशन) जैसे सामाजिक नेताओं ने योग के सामाजिक सरोकारों पर सारगर्भित बातें रखीं।
विशेष बात यह रही कि यह मंच केवल राजनीतिक या आध्यात्मिक वक्ताओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विभिन्न वर्गों के सामाजिक कार्यकर्ता, युवाओं और महिलाओं की खुलकर भागीदारी देखी गई।

 आयोजन की पृष्ठभूमि: कुशल चिकित्सा नेतृत्व और नागरिक सहभागिता
इस पूरे आयोजन की रणनीति और संचालन में अहम भूमिका निभाई डॉ. प्रदीप कुमार (चिकित्साधिकारी) और डॉ. सुजाता (चिकित्साधिकारी) ने।
इन दोनों ने स्थानीय संपर्क, तकनीकी प्रशिक्षण और आयोजन स्थल की सटीक व्यवस्था के माध्यम से इस आयोजन को सफलता की ऊँचाई तक पहुँचाया।
सहयोगी संस्था के रूप में सहज योग फाउंडेशन ने कार्यक्रम की मूल संरचना, प्रशिक्षकों की उपलब्धता और सामूहिक ध्यान के संचालन में प्रमुख भूमिका निभाई।
योग प्रशिक्षकों द्वारा सत्र में ताड़ासन, वृक्षासन, वज्रासन, कपालभाति, अनुलोम-विलोम और त्राटक जैसे व्यायामों का अभ्यास कराया गया, जिसे सैकड़ों नागरिकों ने आत्मीयता से अपनाया।

 सहभागिता और संवाद: आंकड़ों से आगे का अनुभव
300 से अधिक प्रतिभागी
विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, व्यापार मंडलों और महिला समूहों की भागीदारी
प्रश्नोत्तर सत्र: “योग और जीवनशैली विकारों का संबंध”
सहज योग ध्यान पद्धति का प्रायोगिक अभ्यास
शांति मंत्रों के सामूहिक उच्चारण ने स्थल को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया

 वैदिक परंपरा में रचा-बसा योग: गुरुकुल परिसर में योग दिवस की विशिष्ट छटा
“गुरुकुल की भूमि पर योग केवल अभ्यास नहीं, आचरण है” – विधायक आदेश चौहान
हरिद्वार, 21 जून।
जहाँ गंगा की कलकल धारा वेद मंत्रों की गूंज के साथ बहती है, जहाँ सैकड़ों वर्षों से गुरु-शिष्य परंपरा में ज्ञान का संचार होता आया है, वहीं स्थित गुरुकुल परिसर, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर योग, वेद और विज्ञान का संगम देखने को मिला।
भोर की बेला में जब आकाश हल्की रौशनी से रंगने लगा, तब गुरुकुल की पवित्र भूमि पर योग साधकों का समूह एक अनुशासित, समर्पित और सशक्त राष्ट्र की छवि प्रस्तुत कर रहा था।

 विधायक आदेश चौहान का प्रेरणादायक वक्तव्य
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री आदेश चौहान, विधायक रानीपुर (हरिद्वार), ने योग साधकों को संबोधित करते हुए कहा—
“गुरुकुल की यह भूमि केवल शिक्षण का नहीं, चरित्र निर्माण का क्षेत्र है। यहाँ योग एक विषय नहीं, एक संस्कार है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह योग को विश्वगुरु भारत की पहचान के रूप में प्रस्तुत किया है, वह भारत के सांस्कृतिक नेतृत्व का प्रमाण है।”
उन्होंने युवाओं को विशेष रूप से संबोधित करते हुए कहा कि “आज योग का अभ्यास जितना आवश्यक है, उससे कहीं अधिक जरूरी है योग के सिद्धांतों को आचरण में उतारना।”

 विशिष्ट अतिथि और विशेषज्ञों की सहभागिता
विशिष्ट अतिथि डॉ. सुभाष नायक, अमृत संथानम, हरिद्वार, ने योग को आयुर्वेद की आत्मा बताते हुए कहा—
“शरीर, मन और आत्मा के त्रिकोण को संतुलित करने वाला विज्ञान ही योग है। गुरुकुल में जब योग होता है, तो वह केवल प्रदर्शन नहीं, आंतरिक साधना बन जाता है।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर (डॉ.) गिरिराज प्रसाद गर्ग, परिसर निदेशक, गुरुकुल परिसर ने की।
अपने उद्बोधन में उन्होंने गुरुकुल परंपरा की ऐतिहासिकता को जोड़ते हुए कहा—
“हमारा परिसर योग की मूल चेतना का संवाहक है। हम केवल पतंजलि के सूत्रों का पठन नहीं करते, उन्हें जीते हैं। यह आयोजन उसी जीवंत परंपरा का आधुनिक विस्तार है।”

 आयोजन की संरचना और संचालन
इस आयोजन के प्रभारी के रूप में डॉ. विकास जैन एवं डॉ. कपिल गुप्ता, चिकित्साधिकारी, ने प्रशासनिक एवं तकनीकी संचालन में कुशल भूमिका निभाई।
योग सत्र में वज्रासन, ताड़ासन, भुजंगासन, मंडूकासन, भ्रामरी प्राणायाम, कपालभाति और ध्यान के अभ्यास कराए गए।
सभी प्रतिभागियों को आयुष मंत्रालय द्वारा अनुशंसित सामान्य योग प्रोटोकॉल के अनुसार प्रशिक्षित किया गया।

 सहयोगी संस्थाएं और प्रतिभागी
सहयोगी संस्था के रूप में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून एवं साईं योग संस्थान, गोविंदपुरी हरिद्वार की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
गुरुकुल परिसर के शिक्षक, छात्र, स्थानीय नागरिक, आयुर्वेद चिकित्सक और योग प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
150 से अधिक प्रतिभागियों ने इस अवसर पर योग साधना की।

 कार्यक्रम की विशेषताएं
गुरुकुल भवनों के बीच खुले प्रांगण में सामूहिक योगाभ्यास
वैदिक मंत्रों और शांति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन
छात्रों और अध्यापकों के साझा संवाद सत्र: “योग का भविष्य और शिक्षा”
“योग और आयुर्वेद” पर लघु वक्तव्यों की शृंखला
कुम्भकालीन अनुभवों से प्रेरित संतों के मार्गदर्शन में मौन साधना सत्र

 अवधूत मंडल आश्रम में योग, साधना और सामूहिक चेतना का साक्षात संगम
“जब योग अध्यात्म से जुड़ता है, तब वह मुक्ति का मार्ग बन जाता है” – डॉ. उर्मिला
हरिद्वार, 21 जून।
पौराणिक हरिद्वार की ह्रदयस्थली में बसे अवधूत मंडल आश्रम में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम अपने भीतर साधना, शांति और संकल्प का त्रिवेणी संगम समेटे हुए था।
गंगा की धारा के समान शांत, लेकिन आत्मा को जाग्रत कर देने वाला यह आयोजन भले ही प्रतिभागियों की संख्या के अनुसार अपेक्षाकृत सीमित रहा, परंतु गंभीरता, गरिमा और गूढ़ अनुभूति के स्तर पर यह आयोजन सर्वश्रेष्ठों में एक बनकर सामने आया।

 योग दिवस को नई दिशा: शांत, सूक्ष्म और साधनात्मक अभ्यास
प्रमुख वक्ता एवं अध्यक्षता कर रहीं डॉ. उर्मिला, निरामय योग फाउंडेशन हरिद्वार, ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा—
“योग की सच्ची अनुभूति शोर में नहीं, मौन में होती है। अवधूत मंडल आश्रम की यह भूमि साधना की है, यहाँ योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, भीतर उतरने की प्रक्रिया है। जब हम शरीर की सीमाओं से आगे बढ़ते हैं, तभी योग सच्चे अर्थों में प्रारंभ होता है।”
उन्होंने विशेष रूप से ध्यान, प्राणायाम और मौन साधना के महत्व को रेखांकित किया और बताया कि तनाव, चिंता और आध्यात्मिक शून्यता से जूझती इस पीढ़ी को पुनः अपने भीतर लौटने के लिए योग सबसे सशक्त साधन है।

 आयोजन संचालन और संकल्प की समन्वित योजना
कार्यक्रम के सह-अध्यक्ष के रूप में डॉ. सौम्य ने कहा—
“हमारा उद्देश्य केवल उपस्थिति की संख्या बढ़ाना नहीं, बल्कि गुणवत्ता और साधना की गंभीरता तक पहुँचना है। अवधूत मंडल आश्रम जैसे स्थानों पर योग अपने मूलस्वरूप में साकार होता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि यह आयोजन हरिद्वार जनपद में आयोजित हो रहे पाँच प्रमुख योग दिवस कार्यक्रमों में से एक है, जो गंभीर साधकों और अनुभवी प्रशिक्षकों को समर्पित था।

 संचालन एवं प्रतिभागिता
कार्यक्रम प्रभारी के रूप में डॉ. सौम्य बाजपेई और डॉ. सोरमी सोनकर, चिकित्साधिकारी (आयुर्वेदिक एवं यूनानी विभाग), ने शांत वातावरण में संरचित और अनुशासित सत्रों का संचालन किया।
प्रातःकाल 6 बजे से प्रारंभ हुए योग सत्र में भस्त्रिका, नाड़ी शोधन, कपालभाति, योग निद्रा और मौन ध्यान की विधियों का गहन अभ्यास कराया गया।

 विशेषताएं: अनुभव की प्रधानता, प्रचार से परे आयोजन
प्राकृतिक वृक्षों के नीचे खुले वातावरण में योग साधना
गंगा तट की ऊर्जा के साथ मौन ध्यान सत्र
प्रत्येक प्रतिभागी से व्यक्तिगत संवाद एवं परामर्श
शांत, बिना भाषणों की भागमभाग वाला अनुभव केंद्रित आयोजन
हर प्रतिभागी को योग संबंधी हस्तलिखित पुस्तिका एवं आयुष विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त सामान्य योग प्रोटोकॉल पुस्तिका वितरण

 सहभागिता और शुद्धता
इस आयोजन में लगभग 100 प्रतिभागियों की उपस्थिति रही, जिनमें आयुष विभाग के चिकित्सक, अनुभवी योग प्रशिक्षक, स्थानीय संतवर्ग, गृहिणियाँ, वरिष्ठ नागरिक और युवा विद्यार्थी शामिल थे।
संख्या कम होने के बावजूद प्रत्येक प्रतिभागी ने योग का ‘अनुभव’ प्राप्त किया, यही इस आयोजन की विशेषता रही।

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देवभूमि jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

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