उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- “भगवान के दर्शन”*

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📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5127
विक्रम संवत्………………….2082
शक संवत्…………………….1947
मास……………………………..ज्येष्ठ
पक्ष……………………………..कृष्ण
तिथी………………………….तृतीया
रात्रि 04.03 पर्यंत पश्चात चतुर्थी
रवि…………………………उत्तरायण
सूर्योदय…….प्रातः 05.46.55 पर
सूर्यास्त……..संध्या 07.00.00 पर
सूर्य राशि………………………वृषभ
चन्द्र राशि…………………..वृश्चिक
गुरु राशि………………………वृषभ
नक्षत्र…………………………..ज्येष्ठा
दोप 01.58 पर्यंत पश्चात मूल
योग………………………………शिव
प्रातः 06.54 पर्यंत पश्चात सिद्ध
करण………………………….वणिज
दोप 03.16 पर्यंत पश्चात विष्टि
ऋतु……………………(ग्रीष्म) शुक्र
दिन……………………………गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :–*
15 मई सन 2025 ईस्वी ।

👁‍🗨 *अभिजित मुहूर्त :-*

प्रातः 11.36 से 12.29 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 01.42 से 03.22 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*मेष*
04:07:22 05:48:19
*वृषभ*
05:48:19 07:46:55
*मिथुन*
07:46:55 10:00:38
*कर्क*
10:00:38 12:16:48
*सिंह*
12:16:48 14:28:36
*कन्या*
14:28:36 16:39:16
*तुला*
16:39:16 18:53:54
*वृश्चिक*
18:53:54 21:10:03
*धनु*
21:10:03 23:15:40
*मकर*
23:15:40 25:02:46
*कुम्भ*
25:02:46 26:36:18
*मीन*
26:36:18 28:07:22

🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक……………………4
🔯 शुभ रंग…………………..पीला

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.21 से 12.01 तक चंचल
दोप. 12.01 से 01.41 तक लाभ
दोप. 01.41 से 03.21 तक अमृत
सायं 05.01 0से 06.41 तक शुभ
सायं 06.41 से 08.01 तक अमृत
रात्रि 08.01 से 09.21 तक चंचल

📿 *आज का मंत्र :-*
॥ ॐ नारायणाय नमः ॥

📢 *सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (एकादशोऽध्यायः – विश्वरूपदर्शनयोग:) -*
मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्तः सङ्गवर्जितः ।
निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स मामेति पाण्डव ॥११- ५५॥
अर्थात :
हे अर्जुन! जो पुरुष केवल मेरे ही लिए सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को करने वाला है, मेरे परायण है, मेरा भक्त है, आसक्तिरहित है और सम्पूर्ण भूतप्राणियों में वैरभाव से रहित है (सर्वत्र भगवद्बुद्धि हो जाने से उस पुरुष का अति अपराध करने वाले में भी वैरभाव नहीं होता है, फिर औरों में तो कहना ही क्या है), वह अनन्यभक्तियुक्त पुरुष मुझको ही प्राप्त होता है॥55॥

ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे विश्वरूपदर्शनयोगो नामैकादशोऽध्यायः ॥

🍃 *आरोग्यं :-*
*रुखी त्वचा के लिए घरेलू उपाय -*

*4. दूध -*
दूध या मिल्क क्रीम भी एक उत्कृष्ट मॉइस्चराइज़र है। मिल्क क्रीम में मौजूद लैक्टिक एसिड रूखी त्वचा या शुष्क त्वचा एक्सफोलिएट में मदद करता है। मिल्क क्रीम की सूथिंग नेचर त्वचा के नाजुक पीएच स्तर को संरक्षित करने में भी मदद करता है। इसके लिए आप नींबू के रस के कुछ बूंद, एक चम्मच दूध और दो चम्मच दूध क्रीम को मिलाएं। इसे अपने हाथों और पैरों पर अच्छी तरह से रगड़ें। स्नान करने से पहले थोड़ी देर के लिए इसे छोड़ दें। आप इसे नियमित रूप से करें। ड्राई स्किन के लिए यह बहुत ही अच्छा रामबाण और घरेलू उपाय है।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
बिगड़े काम बनेंगे। निवेश मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। कोई पुराना रोग बाधा का कारण हो सकता है। सामाजिक कार्य करने का अवसर प्राप्त होगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। विरोध होगा। आर्थिक नीति में परिवर्तन होगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। तत्काल लाभ नहीं होगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। कारोबार में वृद्धि होगी। निवेश लाभ देगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जल्दबाजी से हानि संभव है।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
वाहन, मशीनरी व अग्नि के प्रयोग में सावधानी रखें। विशेषकर गृहिणियां लापरवाही न करें। आवश्यक वस्तुएं गुम हो सकती हैं। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। किसी व्यक्ति की बातों में न आएं। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
वाणी में शब्दों का प्रयोग सोच-समझकर करें। प्रतिद्वंद्विता में कमी होगी। राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। व्यापार में वृद्धि होगी। स्त्री वर्ग से समयानुकूल सहायता प्राप्त होगी। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। निवेश शुभ रहेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
स्थायी संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। मनपसंद रोजगार मिलेगा। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। कर्ज समय पर चुका पाएंगे। बैंक-बैलेंस बढ़ेगा। नौकरी में चैन रहेगा। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। शेयर मार्केट से लाभ होगा। घर-परिवार की चिंता बनी रहेगी। तनाव रहेगा।

👧 *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
किसी मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठा पाएंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। लेन-देन में सावधानी रखें। लाभ होगा।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आय में निश्चितता रहेगी। शत्रु शांत रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय से लाभ होगा। बुरी खबर मिल सकती है, धैर्य रखें। दौड़धूप की अधिकता का स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा। थकान व कमजोरी रह सकती है। वाणी में कड़े शब्दों के इस्तेमाल से बचें। दूसरों की बातों में नहीं आएं।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से खिन्नता रहेगी। बनते कामों में बाधा उत्पन्न होगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। काम में मन नहीं लगेगा। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। थोड़े प्रयास से ही कार्यसिद्धि होने से प्रसन्नता रहेगी। निवेश से लाभ होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेंगे।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
जल्दबाजी व लापरवाही से हानि होगी। राजकीय कोप भुगतना पड़ सकता है। विवाद न करें। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। प्रसन्नता रहेगी। बिछड़े मित्र व संबंधी मिलेंगे। विरोधी सक्रिय रहेंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में सहकर्मी सहयोग करेंगे। लाभ होगा।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
कोई अनहोनी होने की आशंका रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। रोजगार मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट मनोनुकूल लाभ देगा। बुद्धि का प्रयोग करें। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण बनेगा। भाग्य का साथ मिलेगा।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आंखों का विशेष ध्यान रखें। चोट व रोग से बचाएं। पुराना रोग उभर सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यवसाय की गति धीमी रहेगी। आय बनी रहेगी। नौकरी में कार्यभार रहेगा। थकान महसूस होगी। सहकर्मी सहयोग नहीं करेंगे। चिंता रहेगी।

*राशि फलादेश मीन :-*
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
यात्रा मनोनुकूल रहेगी। कारोबार से संतुष्टि रहेगी। रुका हुआ धन प्राप्त होगा। प्रयास सफल रहेंगे। बुद्धि का प्रयोग करें। प्रमाद न करें। निवेश से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव क्षेत्र बढ़ेगा। व्यापार-व्यवसाय में उत्साह से काम कर पाएंगे। भाग्य अनुकूल है, जल्दबाजी न करें। प्रसन्नता रहेगी।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

*_🌻”भगवान के दर्शन” 🌻_*

*_एक राजा था। वह बहुत न्याय प्रिय तथा प्रजा वत्सल एवं धार्मिक स्वभाव का था।_*
*_वह नित्य अपने ठाकुर जी की बड़ी श्रद्धा से पूजा-पाठ और भक्ति किया करता था।_*
*_एक दिन ठाकुर जी ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिये- और कहा:”राजन्! मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ..! बोलो तुम्हारी कोई इछा हो तो बताओ…?”_*

*_प्रजा को चाहने वाला राजा बोला: “भगवन् मेरे पास आपका दिया सब कुछ हैं आपकी कृपा से राज्य मे सब प्रकार सुख-शान्ति है।_*
*_फिर भी मेरी एक ईच्छा हैं- कि जैसे आपने मुझे दर्शन देकर धन्य किया,वैसे ही मेरी सारी प्रजा को भी कृपा कर दर्शन दीजिये।”_*
*_”यह तो सम्भव नहीं है:” ऐसा कहते हुए भगवान ने राजा को समझाया।_*
*_परन्तु प्रजा को चाहने वाला राजा भगवान् से जिद्द् करने लगा।_*
*_आखिर भगवान को अपने भक्त के सामने झुकना पड़ा ओर वे बोले: “ठीक है!”_*
*_कल अपनी सारी प्रजा को उस पहाड़ी के पास ले आना- और मैं पहाड़ी के ऊपर से सभी को दर्शन दूँगा ।”_*
*_ये सुन कर राजा अत्यन्त प्रसन्न हुआ- और भगवान को धन्यवाद दिया।_*
*_अगले दिन सारे नगर मे ढिंढोरा पिटवा दिया- कि कल सभी पहाड़ के नीचे मेरे साथ पहुँचे,वहाँ भगवान् आप सबको दर्शन देगें।_*
*_दूसरे दिन राजा अपनी समस्त प्रजा- और स्वजनों को साथ लेकर पहाड़ी की ओर चलने लगा।_*
*_चलते-चलते रास्ते में एक स्थान पर तांबे के सिक्कों का पहाड़ देखा।_*
*_प्रजा में से कुछ एक लोग उस ओर भागने लगे।_*
*_तभी ज्ञानी राजा ने सबको सर्तक किया- कि कोई उस ओर ध्यान न दे, क्योकि तुम सब भगवान से मिलने जा रहे हो, इन तांबे के सिक्कों के पीछे अपने भाग्य को लात मत मारो।_*
*_परन्तु लोभ-लालच मे वशीभूत प्रजा के कुछ एक लोग तो तांबे के सिक्कों वाली पहाड़ी की ओर भाग ही गये- और सिक्कों कि गठरी बनाकर अपने घर कि ओर चलने लगे।_*
*_वे मन ही मन सोच रहे थे, पहले ये सिक्कों को समेट ले, भगवान से तो फिर कभी मिल ही लेगे।_*
*_राजा खिन्न मन से आगे बढे। कुछ दूर चलने पर चांदी कि सिक्कों का चमचमाता पहाड़ दिखाई दिया।_*
*_इस वार भी बचे हुये प्रजा में से कुछ लोग, उस ओर भागने लगे- ओर चांदी के सिक्कों को गठरी बनाकर- अपने घर की ओर चलने लगे। उनके मन मे विचार चल रहा था- कि ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता है।_*
*_चांदी के इतने सारे सिक्के फिर मिले न मिले,भगवान तो फिर कभी मिल ही जायेगें!_*
*_इसी प्रकार कुछ दूर और चलने पर सोने के सिक्कों का पहाड़ नजर आया।_*
*_अब तो प्रजा जनों में बचे हुये सारे लोग तथा राजा के स्वजन भी उस ओर भागने लगे।_*
*_वे भी दूसरों की तरह सिक्कों कि गठरीयां लाद-लाद कर अपने- अपने घरों की ओर चल दिये।_*
*_अब केवल राजा ओर रानी ही शेष रह गये थे- राजा रानी से कहने लगे:_*
*_”देखो कितने लोभी हैं- ये लोग”।_*
*_भगवान से मिलने का महत्व ही नहीं जानते हैं।_*
*_भगवान के सामने सारी दुनियां की दौलत क्या चीज हैं..?”_*
*_सही बात है –_*
*_रानी ने राजा कि बात का समर्थन किया- और वह आगे बढ़ने लगे!_*
*_कुछ दुर चलने पर राजा ओर रानी ने देखा कि सप्तरंगि आभा बिखेरता हीरों का पहाड़ हैं।_*
*_अब तो रानी से भी रहा नहीं गया,हीरों के आर्कषण से वह भी दौड पड़ी- और हीरों कि गठरी बनाने लगी।_*
*_फिर भी उसका मन नहीं भरा- तो साड़ी के पल्लू मेँ भी बांधने लगी।_*
*_वजन के कारण रानी के वस्त्र देह से अलग हो गये,परंतु हीरों की तृष्णा अभी भी नहीं मिटी।_*
*_यह देख राजा को अत्यन्त ही ग्लानि ओर विरक्ति हुई।_*
*_बड़े दुःखी मन से राजा अकेले ही आगे बढ़ते गये।_*
*_वहाँ सचमुच भगवान खड़े- उसका इन्तजार कर रहे थे।_*
*_राजा को देखते ही भगवान मुसकुराये- ओर पुछा:”_*
*_कहाँ है तुम्हारी प्रजा और तुम्हारे प्रियजन।_*
*_मैं तो कब से उनसे मिलने के लिये बेकरारी से उनका इन्तजार कर रहा हूॅ।_*
*_”राजा ने शर्म और आत्म-ग्लानि” से अपना सर झुका दिया।_*
*_💥 तब भगवान ने राजा को समझाया: 💥_*
*_”राजन, जो लोग अपने जीवन में भौतिक सांसारिक प्राप्ति को मुझसे अधिक मानते हैं, उन्हें कदाचित मेरी प्राप्ति नहीं होती और वह मेरे स्नेह तथा कृपा से भी वंचित रह जाते हैं..!!”_*

*_💥कथा सार..💥_*
*_जो जीव अपनी मन, बुद्धि और आत्मा से भगवान की शरण में जाते हैं, और जो सर्व लौकिक मोह को छोड़कर प्रभु को ही अपना मानते हैं- वो ही भगवान की सेवा प्राप्त करते है।_*

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