उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -जैसा अन्न वैसा मन*

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*आज का पञ्चांग*

*दिनाँक:-22/07/2025,मंगलवार*
*द्वादशी, कृष्ण पक्ष,*
*श्रावण*
(समाप्ति काल)

तिथि———- द्वादशी 07:04:56. तक
तिथि— त्रयोदशी 28:39:02(क्षय )
पक्ष————————– कृष्ण
नक्षत्र——— मृगशिरा 19:23:48
योग—————- ध्रुव 15:30:55
करण————- तैतुल 07:04:56
करण————— गर 17:50:36
करण———– वणिज 28:39:02
वार———————– मंगलवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—— वृषभ 08:13:54
चन्द्र राशि—————– मिथुन
सूर्य राशि——————- कर्क
रितु—————————- वर्षा
आयन—————— दक्षिणायण
संवत्सर—-‐————– विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर)————– सिद्धार्थी
विक्रम संवत—————- 2082
गुजराती संवत————– 2081
शक संवत—————— 1947
कलि संवत—————– 5126
सूर्योदय—————- 05:38:27
सूर्यास्त—————– 19:12:41
दिन काल————– 13:34:14
रात्री काल————– 10:26:17
चंद्रास्त—————– 17:21:33
चंद्रोदय—————– 27:36:34
लग्न—- कर्क 5°15′ , 95°15′
सूर्य नक्षत्र——————— पुष्य
चन्द्र नक्षत्र————— मृगशिरा
नक्षत्र पाया——————- लोहा

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

वो—- मृगशिरा 08:13:54

का—- मृगशिरा 13:48:32

की—- मृगशिरा 19:23:48

कु—- आर्द्रा 24:59:46

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
============================
सूर्य= कर्क 05°49-23, पुष्य. 1 हु
चन्द्र= वृषभ 28 °30 , मृगशिरा 2 वो
बुध = कर्क 20°52 ‘ आश्लेषा 2 डू
शु क्र= वृषभ 25°05, मृगशिरा , 1 वे
मंगल= सिंह 26°30 ‘ पू o फ़ा o 4 टू
गुरु=मिथुन 15°30 आर्द्रा , 3 ड
शनि=मीन 07°48 ‘ उ o भा o , 2 थ
राहू=(व) कुम्भ 26°40 पू o भा o, 2 सो
केतु= (व) सिंह 26°40 पूoफा o 4 टू
============================

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩*

राहू काल 15:49- 17:31 अशुभ
यम घंटा 09:02 -10:44 अशुभ
गुली काल 12:26- 14:07 अशुभ
अभिजित 11:58-12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 08:21 – 09:16 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:23 – 24:17 अशुभ
वर्ज्यम 27:14-28:44 अशुभ
प्रदोष 19:13-21:19. शुभ

💮चोघडिया, दिन

रोग 05:38 -07:20 अशुभ
उद्वेग 07:20-09:02 अशुभ
चर 09:02-10:44 शुभ
लाभ 10:44 – 12:26 शुभ
अमृत 12:26-14:07 शुभ
काल 14:07-15:49 अशुभ
शुभ 15:49-17:31 शुभ
रोग 17:31 -19:13 अशुभ

🚩चोघडिया, रात

काल 19:13-20:31 अशुभ
लाभ 20:31-21:49 शुभ
उद्वेग 21:49 – 23:08 अशुभ
शुभ 23:08- 24:26 शुभ
अमृत 24:26 – 25:44 शुभ
चर 25:44-27:02 शुभ
रोग 27:02-28:21 अशुभ
काल 28:21-29:39 अशुभ

💮होरा, दिन

मंगल 05:38- 06:46
सूर्य 06:46- 07:54
शुक्र 07:54- 09:02
बुध 09:02 -10:10
चन्द्र 10:10 -11:18
शनि 11:18- 12:26
बृहस्पति 12:26 -13:33
मंगल 13:33-14:41
सूर्य 14:41 -15:49
शुक्र 15:49- 16:57
बुध 16:57 -18:05
चन्द्र 18:05-19:13

🚩होरा, रात

शनि 19:13 -20:05
बृहस्पति 20:05 -20:57
मंगल 20:57 -21:49
सूर्य 21:49 -22:41
शुक्र 22:41 -23:34
बुध 23:34- 24:26
चन्द्र 24:26-25:18
शनि 25:18-26:10
बृहस्पति 26:10-27:02
मंगल 27:02-27:55
सूर्य 27:55 – 28:47
शुक्र 28:47-29:39

*🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

कर्क > 05:14 से 07:34 तक
सिंह > 07:34 से 09:054 तक
कन्या > 09:54 से 12:08 तक
तुला > 12:08 से 14:28 तक
वृश्चिक > 14:28 से 16:48 तक
धनु > 16:48 से 19:02 तक
मकर > 19:02 से 20:40 तक
कुम्भ > 20:40 से 22:00 तक
मीन > 22:00 से 23:20 तक
मेष > 23:20 से 01:16 तक
वृषभ > 01:16 से 03:06 तक
मिथुन > 03:06 से 05:12 तक
=======================

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————- उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 12 + 3 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

केतु ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

रात्रि 28:39 से प्रारंभ

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*भौम प्रदोष व्रत (शिव पूजन)*

*त्रयोदशी क्षय*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

एकेनापि सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना ।
आल्हादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी ।।
।।चाo नीo।।

विद्वान एवं सदाचारी एक ही पुत्र के कारन सम्पूर्ण परिवार वैसे ही खुशहाल रहता है जैसे चन्द्रमा के निकालने पर रात्रि जगमगा उठती है.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: मोक्षसंन्यासयोग:- अo-18

कच्चिदेतच्छ्रुतं पार्थ त्वयैकाग्रेण चेतसा।
कच्चिदज्ञानसम्मोहः प्रनष्टस्ते धनञ्जय॥

हे पार्थ! क्या इस (गीताशास्त्र) को तूने एकाग्रचित्त से श्रवण किया? और हे धनञ्जय! क्या तेरा अज्ञानजनित मोह नष्ट हो गया?
॥72॥

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
घर-परिवार के साथ आराम तथा मनोरंजन के साथ समय व्यतीत होगा। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। विरोध होगा। काम करते समय लापरवाही न करें। चोट लग सकती है। थकान तथा कमजोरी महसूस होगी। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा।

🐂वृष
मनोरंजक यात्रा की योजना बनेगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। आय में वृद्धि होगी। बिगड़े काम बनेंगे। प्रसन्नता रहेगी। मित्रों के साथ अच्‍छा समय व्यतीत होगा। व्यस्तता के चलते स्वास्‍थ्य बिगड़ सकता है, ध्यान रखें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रमाद न करें।

👫मिथुन
अनावश्यक जोखिम न लें। किसी भी व्यक्ति के उकसावे में न आएं। फालतू खर्च होगा। पुराना रोग उभर सकता है। सेहत को प्रा‍थमिकता दें। लेन-देन में जल्दबाजी से हानि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। महत्वपूर्ण निर्णय लेने का समय नहीं है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्यापार मनोनुकूल चलेगा।

🦀कर्क
यात्रा मनोरंजक रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। किसी बड़ी समस्या का हल मिलेगा। व्यावसायिक साझेदार पूर्ण सहयोग करेंगे। कोई नया उपक्रम प्रारंभ करने का मन बनेगा। सेहत का ध्यान रखें। वरिष्ठजनों की सलाह काम आएगी। नए मित्र बनेंगे। आय बनी रहेगी। हर कार्य बेहतर होगा।

🐅सिंह
उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। कोई नया बड़ा काम करने की योजना बनेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। भ्रम की स्थिति बन सकती है। बुद्धि का प्रयोग करें। लाभ में वृद्धि होगी। समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा।

🙍‍♀️कन्या
सामाजिक कार्यों में मन लगेगा। दूसरों की सहायता कर पाएंगे। मान-सम्मान मिलेगा। रुके कार्यों में गति आएगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। मनोरंजक यात्रा हो सकती है। मित्रों के साथ अच्‍छा समय व्यतीत होगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। झंझटों में न पड़ें। ईर्ष्यालु सक्रिय रहेंगे।

⚖️तुला
बुरी सूचना मिल सकती है। मेहनत अधिक होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। आय में कमी रहेगी। नकारात्मकता बढ़ेगी। विवाद से क्लेश होगा। जल्दबाजी में कोई महत्वपूर्ण निर्णय न लें। अनावश्यक परेशानी खड़ी हो सकती है। दूसरों की बातों में न आएं। धैर्य रखें, समय सुधरेगा।

🦂वृश्चिक
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। मनपसंद भोजन की प्राप्ति संभव है। पारिवारिक सदस्यों तथा मित्रों के साथ आनंदायक समय व्यतीत होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🏹धनु
लेन-देन में जल्दबाजी न करें। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से क्रोध रहेगा। भूमि व भवन संबंधी बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। बड़ा काम करने का मन बनेगा। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। आय में वृद्धि होगी।

🐊मकर
घर-परिवार की चिंता रहेगी। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। घर-परिवार में प्रसन्नता रहेगी। बाहर जाने का मन बनेगा। भाइयों से मतभेद दूर होंगे। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। संतान पक्ष से खुशियां प्राप्त होंगी।

🍯कुंभ
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। कार्य करते समय लापरवाही न करें। बनते कामों में बाधा हो सकती है। विवाद से बचें। काम में मन नहीं लगेगा। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। विवेक का प्रयोग करें। आय बनी रहेगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा।

🐟मीन
किसी प्रभावशाली व्यक्ति से सहयोग प्राप्त होगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। तीर्थदर्शन हो सकते हैं। विवेक का प्रयोग करें, लाभ होगा। मित्रों के साथ अच्‍छा समय बीतेगा। विरोध होगा। पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। झंझटों में न पड़ें। जल्दबाजी से हानि होगी। आलस्य हावी रहेगा।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*जैसा अन्न वैसा मन*

*एक बार एक ऋषि ने सोचा- कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ- कि सारे पाप गंगा में समा गए,और गंगा भी पापी हो गयी !*
*_अब यह जानने के लिए तपस्या की, कि पाप कहाँ जाता है….?_*

*_तपस्या करने के फलस्वरूप देवता प्रकट हुए, ऋषि ने पूछा कि भगवन जो पाप गंगा में धोया जाता है- वह पाप कहाँ जाता है…?_*
*_भगवान ने कहा: कि चलो गंगा से ही पूछते है, दोनों लोग गंगा के पास गए और कहा कि “हे गंगे ! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुई !”_*
*_गंगा ने कहा: “मैं क्यों पापी हुई, मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ !”_*
*_अब वे लोग समुद्र के पास गए, “हे सागर ! गंगा जो पाप आपको अर्पित कर देती है- तो इसका मतलब आप भी पापी हुए !”_*
*_समुद्र ने कहा: “मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बना कर बादल बना देता हूँ !”_*
*_अब वे लोग बादल के पास गए और कहा “हे बादल ! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते है, तो इसका मतलब आप…पापी….!_*
*_बादलों ने कहा: “मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को वापस पानी बरसा कर धरती पर भेज देता हूँ- जिससे अन्न उपजता है-जिसको मानव खाता है!_*
*_उस अन्न में- जो अन्न जिस मानसिक स्थिति से उगाया जाता है, जिस वृत्ति से प्राप्त किया जाता है- और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है- उसी के अनुसार मानव की मानसिकता बनती है !”_*
*_अन्न को जिस वृत्ति (कमाई ) से प्राप्त किया जाता है- और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है- वैसे ही विचार मानव के बन जाते है ! इसीलिये सदैव भोजन सिमरन और शांत अवस्था मे करना चाहिए,और कम से कम अन्न जिस धन से खरीदा जाए, वह धन ईमानदारी एवं श्रम का होना चाहिए !_*
*_जैसे:_*
*_भीष्म पितामह शरशय्या पर पड़े प्राण त्यागने के लिए शुक्लपक्ष के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे! भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर युधिष्ठिर उनसे प्रतिदिन नीति ज्ञान लेते थे। द्रौपदी कभी नहीं जाती थीं।_*
*_इससे भीष्म के मन में पीड़ा थी। श्रीकृष्ण ने भांप लिया था। उन्होंने युधिष्ठिर से कहा- अंतकाल की प्रतीक्षा में साधनारत पूर्वज से सपरिवार मिलना चाहिए।_*
*_परिवार पत्नी के बिना पूर्ण नहीं है।_*
*_इशारा समझकर युधिष्ठिर जिद करके द्रौपदी को भी साथ ले गए।_*
*_पितामह उन्हें नीति का ज्ञान देने लगे। द्रौपदी कुंठित होकर चुपचाप सुन रही थी, अचानक द्रोपदी को हंसी आ गई।_*
*_भीष्म ने कहा: पुत्री तुम्हारे हंसने का कारण मैं जानता हूँ।_*
*_द्रोपदी सकुचाई,तो भीष्म ने कहा: पुत्री तुम अपने मन की दुविधा पूछ ही लो, मुझे शांति मिलेगी।_*
*_द्रोपदी ने कहा: स्वयं भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं -कि भीष्म के समान नीति का ज्ञाता दूसरा कोई नहीं- किंतु आपका ज्ञान कहां लुप्त हो गया था, जब पुत्रवधू आपके सामने निवस्त्र की जा रही थी?_*
*_भीष्म ने कहा: इसी प्रश्न की प्रतीक्षा थी। “जैसा अन्न वैसा मन ” मैं दुर्योधन जैसे अधर्मी का अन्न खा रहा था। उस अन्न ने मेरी बुद्धि जड़ कर दी थी। सही निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो गई थी।_*
*_अन्न ही रक्त का कारक है। अर्जुन के बाणों ने मेरे शरीर से वह रक्त धीरे- धीरे करके निकाल दिया है। अब इस शरीर में सिर्फ गंगापुत्र भीष्म शेष है। सिर्फ माता का अंश है- जो सबको निर्मल करती हैं इसलिए मैं नीति की बातें कर पा रहा हूं।_*
*_भीष्म पितामह की बात को अटल सत्य समझिए। दुराचार से या किसी को सताकर कमाए गए धन से यदि आप परिवार का पालन करते हैं तो वह परिवार की बुद्धि भ्रष्ट करता है। उससे जो सुख है वह क्षणिक है किंतु लंबे समय में वह दुख का कारण बनता है। यदि आपके सामने गलत तरीके से पैसा कमाकर भी कोई फल-फूल रहा है तो यह समझिए कि वे उसके पूर्वजन्म के संचित पुण्य हैं जिसे निगल रहा है। जैसे ही वे पुण्य कर्म समाप्त होंगे, उसके दुर्दिन आरंभ होंगे।_*

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