ऋषिकेश
*भाजपा के पूर्व महासचिव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रामलाल पहुंचे परमार्थ निकेतन*

देव भूमि जे के न्यूज़ ऋषिकेश, 20 मार्च । परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर विलुप्त हो रही गौरैया के संरक्षण के लिये अपने-अपने घरों में बर्डहाउस बनाने का संदेश दिया।
भाजपा के पूर्व महासचिव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रामलाल पधारे परमार्थ निकेतन। विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गौरैया के संरक्षण के विषय में चर्चा की।
वास्तव में वर्तमान समय में गौरैया का होना उस विशेष क्षेत्र के पर्यावरणीय स्वास्थ्य के संकेतक के रूप में जाना जाता है, और उनकी घटती संख्या चिंता का कारण है इसलिये अब समय आ गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक घर और पेड़ों पर बर्डहाउस बनाने के लिये प्रेरित करना होगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि परमार्थ निकेतन में बर्ड हाउस तैयार कर लगाये गये हैं, साथ ही यहां के हरे-भरे वातावरण में न केवल गौरैया बल्कि अनेक प्रजातियों के प्रक्षियों को भी देखा जा सकता है।
परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की कुुटिया एक छोटी वर्ड सेंचुरी से कम नहीं है, यहां पर स्वामी जी प्रतिदिन गौरैया और अन्य प्रजातियों के पक्षियों को दाना डालने और उनके लिये जल की व्यवस्था की जिम्मेदारी भी स्वयं ही देखते हैं। कुटिया के अन्दर ही वर्षो से बोगनबिलिया की बेल लगी हुयी है जिस पर गौरैया सहित अनेक प्रजातियों के पक्षियों का घोसला हैं। प्रतिदिन सुबह-सुबह पूरे परमार्थ निकेतन आश्रम में पक्षियों की मधुर ध्वनि संगीत की तरह गंूजती है। विश्व के अनेक देशों से आने वाले लोग प्रकृति और पक्षियों के संरक्षण का संदेश यहां से लेकर जाते हैं।
घरेलू गौरैया के लिये समर्पित यह दिन उनकी सुरक्षा के विषय में जागरूक करने के लिये मनाया जाता है। गौरैया विलुप्त होने की कगार पर है अतः उनका संरक्षण करना आवश्यक है और इस हेतु जनसमुदाय में व्यापक जागरूकता अत्यंत आवश्यक है।
हालाँकि पहले गांवों और शहरों में घरों के आसपास गौरैया का दिखना एक आम बात थी तथा उन्हें आसानी से देखा जा सकता था लेकिन वर्तमान में ग्लोबल वार्मिग के कारण जैव विविधता को हो रहे नुकसान के कारण शहरों में गौरैया को दिखना बहुत मुश्किल हो गया है।
गौरैया के संरक्षण हेतु जैव विविधता के महत्त्व को समझना अत्यंत आवश्यक है। घरेलू गौरैया दुनिया की सबसे आम और व्यापक प्रजातियों में से एक है परन्तु इनके अलावा भी गौरैया की अन्य 26 विशिष्ट प्रजातियाँ हैं। बढ़ते प्रदूषण, शहरीकरण, ग्लोबल वार्मिंग, क्लामेंट चेंज और लुप्त हो रहे पारिस्थितिक संसाधनों के कारण अब गौरैया विलुप्त होने की कगार पर है।
विश्व स्तर पर दिन-प्रतिदिन घट रही गौरैया की संख्या अत्यंत गंभीर विषय है इसलिये हमें पारिस्थितिक तंत्र में गौरैया के महत्व, परागण में उनकी भूमिका और कीट नियंत्रण में उनके महत्व के बारे में जनसमुदाय को जागरूक करना होगा।
विश्व गौरैया दिवस 2023 की थीम ’आई लव स्पैरो’ है, जिसका लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों को गौरैया के प्रति जागरूक करना।