
📜««« *आज का पञ्चांग*»»»📜
कलियुगाब्द……………………..5124
विक्रम संवत्…………………….2079
शक संवत्……………………….1944
मास………………………………..चैत्र
पक्ष……………………………….कृष्ण
तिथी…………………………….द्वादशी
प्रातः 08.07 पर्यंत पश्चात त्रयोदशी
रवि…………………………..उत्तरायण
सूर्योदय…………..प्रातः 06.31.46 पर
सूर्यास्त………….संध्या 06.37.01 पर
सूर्य राशि…………………………..मीन
चन्द्र राशि…………………………मकर
गुरु राशि…………………………..मीन
नक्षत्र……………………………धनिष्ठा
रात्रि 09.57 पर्यंत पश्चात शतभिषा
योग………………………………सिद्ध
रात्रि 08.00 पर्यंत पश्चात साध्य
करण……………………………तैतिल
प्रातः 08.07 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु………………………..(मधु) वसंत
दिन……………………………..रविवार
🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
19 मार्च सन 2023 ईस्वी ।
☸ शुभ अंक………………………1
🔯 शुभ रंग…………………….नीला
⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.10 से 12.58 तक ।
👁🗨 *राहुकाल :-*
संध्या 05.03 से 06.33 तक ।
🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*मीन*
06:23:13 07:54:10
*मेष*
07:54:10 09:34:54
*वृषभ*
09:34:54 11:33:33
*मिथुन*
11:33:33 13:47:15
*कर्क*
13:47:15 16:03:25
*सिंह*
16:03:25 18:15:14
*कन्या*
18:15:14 20:25:53
*तुला*
20:25:53 22:40:31
*वृश्चिक*
22:40:31 24:56:41
*धनु*
24:56:41 27:02:18
*मकर*
27:02:18 28:49:25
*कुम्भ* 28:49:25 30:23:13
🚦 *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो दलिया, घी या पान का सेवनकर यात्रा प्रारंभ करें ।
✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 08.04 से 09.34 तक चंचल
प्रात: 09.34 से 11.04 तक लाभ
प्रात: 11.04 से 12.33 तक अमृत
दोप. 02.03 से 03.33 तक शुभ
सायं 06.32 से 08.02 तक शुभ
संध्या 08.02 से 09.33 तक अमृत
रात्रि 09.33 से 11.03 तक चंचल ।
📿 *आज का मंत्रः*
।। ॐ आदित्याय नम: ।।
*संस्कृत सुभाषितानि :-*
विरला जानन्ति गुणान् विरला: कुर्वन्ति निर्धने स्नेहम् ।
विरला: परकार्यरता: परदु:खेनापि दु:खिता विरला: ॥
अर्थात :
कोई कोई ही दूसरों के गुणों को जानते हैं, कोई कोई ही गरीबों से स्नेह रखते हैं, कोई कोई दूसरों की सहायता करते हैं और कोई कोई ही दूसरों के दुःख से दुखी होते हैं ॥
🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*लौंग के लाभ -*
*6. सिरदर्द के लिए फायदेमंद -*
सिरदर्द होने पर पुरुष ज्यादातर मेडिसिन लेना एकमात्र उपाय मानते हैं। इसके पीछे की वजहों को जानने की कोशिश नहीं करते। इससे ये समस्या लगातार बनी रहती है।
लौंग के उपयोग से सिरदर्द को कम किया जा सकता है। इसके लिए आप कुछ लौंग को लीजिए और उसका पेस्ट बना लीजिए। फिर इसमें सेंधा नमक मिलाइए और दूध तथा पानी के साथ इसका सेवन कीजिए। यह मिश्रण सिरदर्द को जल्दी और प्रभावी रूप से कम कर देता है।
⚜ *आज का राशिफल :-*
🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड से मनोनुकूल लाभ होगा। बेरोजगारी के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। कोई बड़ी समस्या का हल सहज ही होगा। समय अनुकूल है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
विवाद को बढ़ावा न दें। फालतू खर्च होगा। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं। परिवार के किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर खर्च होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। जल्दबाजी न करें।
👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
यात्रा लाभदायक रहेगी। रुका हुआ धन प्राप्त हो सकता है। आय में वृद्धि होगी। लाभ में वृद्धि होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट से लाभ होगा। व्यापार ठीक चलेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। विरोधी सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। पारिवारिक चिंता रहेगी। जोखिम न लें।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
किसी बड़े काम को करने की तीव्र इच्छा जागृत होगी। आर्थिक उन्नति की योजना बनेगी। व्यापार लाभदायक रहेगा। कार्यस्थल पर परिवर्तन हो सकता है। नए उपक्रम प्रारंभ हो सकते हैं। कार्यसिद्धि होगी। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा। जल्दबाजी से काम बिगड़ सकते हैं। थकान व कमजोरी रहेगी।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। तीर्थयात्रा की योजना बनेगी। कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। दुष्टजनों से सावधान रहें। प्रमाद न करें।
🙎🏻♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
विवाद को बढ़ावा न दें। चोट व दुर्घटना के प्रति सावधानी आवश्यक है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। बनते कामों में विघ्न आ सकते हैं। चिंता तथा तनाव रहेंगे। बेकार बातों की तरफ ध्यान न दें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय होगी। फालतू खर्च होगा।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। शत्रु पस्त होंगे। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। व्यापार लाभदायक रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। मानसिक बेचैनी रहेगी। सभी तरफ से सफलता प्राप्त होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। ऐश्वर्य के साधनों पर अधिक व्यय होगा।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। समय की अनुकूलता का लाभ लें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है। जोखिम न उठाएं। प्रसन्नता रहेगी।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
कानूनी अड़चन सामने आएगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। बेचैनी रहेगी। व्यर्थ दौड़धूप रहेगी। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद प्राप्त होगा। मित्रों के साथ समय मनोरंजक व्यतीत होगा। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। रोजगार मिलेगा। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
कोई बड़ी बाधा उठ खड़ी हो सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें, गुम हो सकती है। विवाद के बढ़ावा न दें। बुरी खबर मिल सकती है, धैर्य रखें। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। मेहनत अधिक होगी। लाभ के अवसर टलेंगे। मानसिक बेचैनी रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ होगा।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
लाभ के अवसर हाथ आएंगे। मेहनत का फल मिलेगा। मान-सम्मान मिलेगा। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार लाभदायक रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। भाग्य का साथ रहेगा। प्रमाद न करें।
🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। आत्मसम्मान बना रहेगा। बुद्धि का प्रयोग करेंग। कार्य में सफलता मिलेगी। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। लाभ में वृद्धि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। समय सुखपूर्वक व्यतीत होगा।
आज का प्रेरक प्रसंग घमंडी का सिर नीचा
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प्राचीन काल की बात है। किसी गांव में चंद्रभूषण नाम का एक विद्धवान पंडित रहता था।
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उसकी वाणी में गजब का आकर्षण था। वह भागवत कथा सुनाने में निपुण था। उसकी वाणी से कथासार सुनकर लोग मुग्ध हो जाते थे।
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इसीलिए उसके यहां पर रोज कथा सुनने वालों की भीड़ लगी रहती थी। दूर दूर से लोग चंद्रभूषण से भागवत कथा सुनने आते थे।
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उसी गांव में एक दूसरे पंडित जी भी रहते थे, नाम था नंबियार।
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पढ़े लिखे तो बहुत थे, पर थे बहुत घमंडी, स्वयं को बहुत बड़ा विद्धवान समझा करते थे।
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सोचते, कहां कल का छोकरा चंद्रभूषण, जो अटक अटक कर कथा पढ़ता है और कहां मैं, शास्त्रों का मर्म जानने वाला पंडित।
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किंतु जब भी नंबियार चंद्रभूषण के घर के सामने से गुजरते, उसके श्रोताओं की भीड़ देखकर उनका मन ईर्ष्या से भर उठता।
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मन ही मन सोचते, यह चंद्रभूषण क्या जादू करता है कि इसके यहां दिनों दिन श्रोताओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। ऐसे तो मेरी नाक नीची हो जाएगी। मुझे कुछ करना चाहिए।
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एक दिन की बात है, नंबियार थके हारे घर लौटे। भूख भी जोरों की लगी थी। लेकिन घर आकर देखा तो उसकी पत्नी दिखाई न दी।
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एक दो बार आवाज भी लगाई, मगर चुप्पी छाई रही। अचानक नंबियार का मन आशंका से भर उठा कहीं मेरी पत्नी चंद्रभूषण के यहां कथा सुनने तो नहीं चली गई?
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ईर्ष्या और क्रोध से नंबियार के नथुने फड़कने लगे। एक एक पल उन्हें हजार घण्टे के बराबर लगा।
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जब रहा ही नहीं गया, तो वह चंद्रभूषण के घर की आरे चल दिए।
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चंद्रभूषण के दरवाजे पर पहुंचकर नंबियार ठिठक गए। वहां श्रोताओं की अपार भीड़ थी। सब मंत्रमुग्ध होकर कथा सुन रहे थे।
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नंबियार ने देखा श्रोताओं के बीच उसकी पत्नी भी बैठी है। बस, फिर क्या था। उनका क्रोध भड़क उठा।
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वह दनदनाते हुए चंद्रभूषण के आसन के पास पहुंच गए और चिल्लाकर बोले..
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”चंद्रभूषण, तुम दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हो और तुमसे बड़े मूर्ख ये सारे लोग हैं जो यहां इकट्ठा होकर तुम्हारी बकवास सुन रहे हैं।“
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नंबियार की बात को सुनकर चंद्रभूषण आश्चर्य में पड़ गया। कथा बीच में ही छूट गई। सारे श्रोता नंबियार को बुरा भला कहते हुए अपने अपने घर लौट गए।
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घर पहुंचकर बाकी बचा गुस्सा नंबियार ने अपनी पत्नी पर निकाला। बोले, ”क्या जरूरत थी तुम्हें वहां जाने की?
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क्या मुझसे बड़ा विद्धवान है चंद्रभूषण? मेरे पास शास्त्रों का भण्डार है। मगर तुम्हें कौन बताए, लगता है तुम्हारी खोपड़ी में बुद्धि नहीं है।“
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”क्यों अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते हो? तुम ऐसे ही बड़े हो तो चंद्रभूषण की तरह इतने लोगों को इकट्ठा करके दिखाओ। मैं तुम्हारे ज्ञान को मान लूंगी।
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मैं तुम्हारी जली कटी रोज सुनती हूं। अब तुम दूसरों को भी अपमानित करने लगे। तुम्हें कोई और काम नहीं सिवा ईर्ष्या के।“
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इतना कहकर तिलमिलाती हुई नंबियार की पत्नी भीतर चली गई।
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उस रात दोनों में से किसी ने भोजन नहीं किया। पत्नी तो थोड़ी देर में सो गई। पर नंबियार की आंखों में नींद नहीं थी।
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शाम की सारी घटना जैसे उनकी आंखों में तैर रही थी। रह रहकर उसी घटना के बारे में सोचते आखिर मैंने चंद्रभूषण का अपमान क्यों किया?
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वह जितना सोचते, उनकी बेचैनी उतनी ही बढ़ती जाती। बाहर काफी सर्दी थी, मगर गला सूखने के कारण वह बार बार पानी पी रहे थे।
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यही बात सोचते सोचते उनका सारा गुस्सा पश्चाताप में बदल गया। ओह, यह मैंने क्या किया?
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मेरे मन में भगवान की भक्ति के नाम पर इतना द्वेष और चंद्रभूषण के स्वभाव में इतनी विनम्रता। इतना अपमान सहने के बाद भी वह एक शब्द न बोला।
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जैसे ही भोर का तारा दिखा, नंबियार ने पश्चाताप प्रकट करने हेतु चंद्रभूषण के घर जाने के लिए दरवाजा खोला।
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उन्होंने देखा, चौखट के पास कोई आदमी कंबल ओढ़े बैठा है। वह जाड़े से सिकुड़ रहा था।
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जैसे ही नंबियार ने कदम आगे बढ़ाया, वह उनके पैर छूने के लिए आगे बढ़ा।
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”यह क्या करते हो? कौन हो तुम?“ कहते हुए नंबियार पीछे हट गए। उस व्यक्ति को ध्यान से देखा।
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सामने हाथ जोड़े खड़ा व्यक्ति और कोई नहीं था, कथावाचक चंद्रभूषण ही था।
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जब तक नंबियार कुछ कहते, चंद्रभूषण बोल उठा, ”आपने अच्छा ही किया, जो मेरा दोष मुझे बता दिया।
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लेकिन लगता है, आप मुझसे अभी तक नाराज हैं। मैं रात भर यहां बैठकर आपका इंतजार करता रहा। शायद आप बाहर आएं और मैं आपसे क्षमा मांगूं।“
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नंबियार तो पहले ही लज्जित थे। उन्होंने लपककर चंद्रभूषण को अपने गले से लगा लिया। बोले, ”भाई, दोष मेरा है तुम्हारा नहीं।
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मैं घमंड में अंधा हो गया था। तुमने अपनी विनम्रता से मेरा घमंड चूर चूर कर दिया। सच कहता हूं, तुमने मेरी आंखें खोल दीं।
वास्तव में यदि विनम्रता न हो तो ज्ञान भी नष्ट हो जाता है।“ दोनों की आंखों में आंसू थे। उसके बाद नंबियार ने ईर्ष्या द्वेष और घमंड का त्याग कर दिया।