उत्तराखण्डऋषिकेश

*एकल न रहे, संयुक्त रहे-परिवार प्रबोधन कार्यक्रम*

देवभूमि जे के न्यूज ~23 सितंबर 2022
शुक्रवार ,ऋषिकेश -आवास विकास स्थित विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के विवेकानंद योग सभागार में
*परिवार प्रबोधन कार्यक्रम* का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य राजेंद्र प्रसाद पांडे एवं डी. पी. रतूड़ी (पूर्व वायुसेना अधिकारी) , ज्योति सजवान व लक्ष्मी सजवान ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया ।
कार्यक्रम में विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य नरेंद्र खुराना ने मुख्य वक्ता के रूप में संस्कारित परिवार-सुखी परिवार विषय पर बोलते हुए कहा कि वर्तमान समय में संयुक्त परिवार तेजी से टूटकर एकल परिवारों में बदल रहे हैं। एकल परिवार आर्थिक रूप से संपन्न होता है, लेकिन इसमें सहनशीलता, परस्पर सहयोग व संस्कारों की कमी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। जिसके कारण परिवार का प्रत्येक सदस्य चिंता से ग्रस्त हो रहा है। हमारी प्राचीन ऋषि-मुनियों की संस्कृति तो हमें ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की शिक्षा देती है अर्थात पूरी पृथ्वी व इसमें रहने वाले सभी प्राणी, जानवर व वनस्पति परिवार के विभिन्न अंग है एवं इनके साथ मिलजुलकर रहना सिखाती है। हम अपने घरों में बच्चों को अच्छे संस्कार माता-पिता के चरण स्पर्श, पूजा पाठ करना, बड़ों का सम्मान, छोटों से स्नेह, अपने कार्य की प्रति निष्ठा, समाज व देश सेवा की प्रतिदिन शिक्षा देनी चाहिए।
कार्यक्रम में
ज्योति सजवान ने बताया कि कितने आश्चर्य की बात है कि हम पश्चिमी संस्कृति अपना रहे है और अपनी संस्कृति को भूल रहे है। जबकि विदेशी हमारे देश व भारतीय संस्कृति के प्रति आकर्षित हो रहे है। इस कार्यक्रम में करीब 100 परिवारों से 110व्यक्तियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के समापन में विद्यालय के प्रधानाचार्य राजेंद्र प्रसाद पांडे ने सभी अतिथियों व अभिभावकों का सहृदय आभार व्यक्त किया और कहा कि आप एकल परिवार नहीं संयुक्त परिवार की परम्परा को अपनाए तो हमारा यह कार्यक्रम का उद्देश्य सफल होगा।
कार्यक्रम का संचालन सुहानी सेमवाल द्वारा किया गया।
इस अवसर पर रश्मि गुसाईं, सतीश चौहान, कर्णपाल बिष्ट,रामगोपाल रतूड़ी मौजूद रहे।

जय कुमार तिवारी

*हमेशा सच का साथ देना! ईमानदारी से आगे बढ़ना, दीनहीनों की आवाज को आगे पहुंचाना। सादा जीवन उच्च विचार और प्रकृति के बनाए हुए दायरे में जीवन निर्वहन करना। झूठ बोलने वालों और फरेब से दूर रहना, कभी किसी के अहित की बात नहीं सोचना। ईश्वर मेरे साथ हमेशा खड़े हैं!*

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